वीरेन्द्र गहवई, बिलासपुर। देश में सख्त कानून बनने के बाद भी देश मे नाबालिगों के लापता होने की संख्या बढ़ती जा रही है. प्रेम जाल में फंसकर नाबालिग घर छोड़कर भाग जा रही हैं. आलम यह है कि हर साल सैकड़ों की संख्या में बालिकाएं लापता हो रही हैं. हालाकि ऑपरेशन मुस्कान के जरिए कई बालिकाओं को खोजकर परिजन को सुपुर्द कर दिया गया है, लेकिन अब भी सैकड़ों बालिकाएं लापता हैं.

इश्क, मोहब्बत और फिर लापता. जी हां इन दिनों बड़ी संख्या में लड़कियां अपने घर से अचानक लापता हो रहीं हैं. जब तक परिजन पुलिस में शिकायत करते हैं, तब तक बच्चियों के साथ अनहोनी या उनकी अस्मत लुट चुकी होती है.

बिलासपुर जिले की ही बात करें तो यंहा बीते डेढ़ साल में 401 बच्चियां लापता हुई हैं. पुलिस ने उसमें से 304 बच्चियों को खोजकर परिजन को सुपुर्द कर दिया है. हालांकि अब भी 97 बच्चियां लापता हैं. इनमें से ज्यादातर मामलों में बच्चियां प्रेम जाल में फंसकर घर छोड़कर प्रेमी के साथ भाग रही है.

जानकारों की मानें तो इसके पीछे का बड़ा कारण सोशल मीडिया है. परिजनों का अपने बच्चों को छूट देना है, जिसकी वजह से बच्चियां चमक-दमक और काल्पनिक दुनिया पर भरोसा कर अनजान शख्स के साथ घर छोड़कर चली जाती हैं, जिससे उनके साथ अनहोनी या दुष्कर्म जैसी घटनाएं हो जाती है.

बिलासपुर एससपी उमेश कश्यप ने कहा कि हालांकि पुलिस मुख्यालय के निर्देश और सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन ऑपरेशन मुस्कान के तहत पुलिस लगातार लापता बालिकाओं की तलाश कर रही है. इसके साथ ही छेड़खानी , अनाचार के बढ़ते घटनाओं को देखकर पॉक्सो एक्ट की सख्त कानून बनाया गया है. इसमें नाबालिग से अनाचार करने वाले को आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान है.

बड़ी संख्या में बच्चियां लापता हो रही हैं. सरकार को जरूरत है कि स्कूलों में NGO और सामाजिक कार्यकर्ताओं के जरिए बच्चों और अभिभावकों को जागरूक करने अभियान चलाएं, ताकि सोशल मीडिया या फिर चकाचौंध और काल्पनिक दुनिया के अंधकार में फंसकर किसी बच्ची का भविष्य न खराब हो.

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