लक्ष्मीकांत बंसोड़, बालोद. बीते दिनों लगातार हुई बारिश के चलते पानी के तेज बहाव में पर्रेगुड़ा-बरही के बीच बना PWD का पुराना पुल धराशाई हो गया है. अब ग्रामीण 2 की जगह 10 से 12 किलोमीटर का सफर तय करने को मजबूर हैं. विभाग 1 महीने पहले ही पुल की मरम्मत कराई थी. इसकी पोल अधिकारी के बयान और बाद में जारी की गई प्रेस विज्ञप्ति ने खोल दी.
पर्रेगुड़ा और बरही गांव के बीच साल 2007 में बने PWD विभाग का पुल क्षतिग्रस्त हो गया था. 17 और 18 जुलाई को महज 24 घंटे की बारिश में पुल दो टुकड़ों में बंट गया. जिससे किसानों को आने-जाने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. साथ ही 2 किमी के सफर को 10 से 12 किमी लंबा घुमकर तय करना पड़ रहा है. इसके अलवा पुल का मलबा भी किसानों के खेत में पट गया है, जिससे उनकी फसलों को नुकसान हो गया. ग्रामीणों ने मुआवजे की मांग के लिए ज्ञापन भी सौंपा है.
रिपेयरिंग में पैसा खर्च नहीं किया- कार्यपालन अभियंता
मामले को लेकर जब PWD के जिला कार्यपालन अभियंता से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि नए पुल के लिए उच्च अधिकारी को 50 लाख का इस्टीमेट बनाकर पहले ही भेजा जा चुका है. पुल पहले ही डैमेज हो गया था. आवागमन के सुचारू संचालन के लिए हमने रिपेयर कराया था. लेकिन लगातार बारिश और ऊपर डैम के ओवरफ्लो होने से पुल बह गया.
वहीं 1 महीने पहले रिपेयरिंग के खर्च पर सवाल किया गया, तो उन्होंने पहले ये कहा कि हमने रिपेयरिंग में खर्च नहीं किया था. हमारे पास डैमेज पाइप था उसे हमने अपने स्तर पर लगवा दिया था. लेकिन मीडिया में बयान देने के 12 घंटे बाद कार्यपालन अभियंता ने रिपेयरिंग पुल के बह जाने से 15 लाख का नुकसान होने की बात कहते हुए प्रेस विज्ञप्ति जारी कर दी. अब सवाल उठता है कि क्या पुल के बन जाने के बाद अब अधिकारी 15 लाख की बंदरबांट करने की योजना बना रहे हैं ?
मामले की जांच की जाएगी- कलेक्टर
प्रकरण में जब कलेक्टर से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि अभी बारिश के चलते नाले में पानी चल रहा है. बारिश के बाद क्या बेहतर हो सकता है वो किया जाएगा. वहीं रिपेयरिंग के बाद पुल के बह जाने और मीडिया व प्रेसविज्ञप्ति के अलग-अलग बयान पर जांच की बात कही. बहरहाल एक तरफ सरकार नवा छत्तीसगढ़ की परिकल्पना को साकार करने में लगी है, तो दूसरी ओर इस तरह के भ्रष्ट अधिकारी सरकार की इस जनकल्याणकारी मंशा पर पलीता लगा रहे हैं.
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