Latest News Today: घरेलू हिंसा के एक मामले में अदालत ने कहा है कि पति के रुतबे, हैसियत के अनुसार रहना महिला का अधिकार है. उसे इससे वंचित नहीं किया जा सकता. इसी के साथ अदालत ने कारोबारी पति की मासिक आय के हिसाब से पत्नी का गुजाराभत्ता तय किया है.
रोहिणी स्थित मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट कनिका जैन की अदालत ने महिला के अधिवक्ता प्रदीप राणा की दलील को मंजूर करते हुए कहा कि पति की मासिक आय करीब 12 लाख रुपये है. ऐसे में पत्नी को पति की हैसियत के हिसाब से दो लाख रुपये महीना गुजाराभत्ता देने का आदेश देना न्यायसंगत है.
पति की तीन दवा कंपनियां
अदालत में जमा कराए गए हलफनामे में बताया गया कि महिला के पति की तीन दवा कंपनियां चल रही हैं, जिनसे अच्छी-खासी आमदनी होती है. हालांकि महिला ने प्रतिमाह 25 लाख रुपये के गुजाराभत्ते की मांग की थी. लेकिन, अदालत ने कहा कि प्रतिवादी पति की ओर से पेश आयकर दस्तावेजों के अनुसार उसकी मासिक आय 11 लाख 53 हजार 40 रुपये है. ऐसे में अदालत उतना ही गुजाराभत्ता देने का आदेश दे सकती है जो कानूनी व व्यावहारिक तौर पर सही हो.
पिता के साथ रहती हैं दो बेटियां
इस दंपति की दो बेटियां हैं, जो पिता के साथ ही रहती हैं. बड़ी बेटी पिता की कंपनियों में हिस्सेदार है. इसलिए अदालत ने मुआवजा रकम तय करते समय बड़ी बेटी को आत्मनिर्भर माना है. वहीं, छोटी बेटी की परवरिश की जिम्मेदारी पिता पर होने के चलते उसकी गुजाराभत्ता रकम पिता के हिस्से में ही रहने दी गई है. अदालत ने इस मामले में प्रतिवादी की 11 लाख 53 लाख रुपये की आय को चार भागों में विभाजित किया है. दो हिस्से पति के रखे गए हैं. एक हिस्सा छोटी बेटी और चौथा हिस्सा पत्नी को दिया गया है. क्योंकि छोटी बेटी पिता के साथ ही रह रही है. ऐसे में तीसरा हिस्सा भी पिता के पास ही रहेगा.
पति की आय से तय होता है गुजाराभत्ता : कोर्ट
अदालतने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति की आय के हिसाब से पत्नी का गुजाराभत्ता तय किया जाता है. इस मामले में स्पष्ट तौर पर पति की मासिक आमदनी 11 लाख 53 हजार रुपये सामने आई है. ऐसे में महिला को दो लाख रुपये का गुजाराभत्ता देना सही होगा. अदालत ने यह भी कहा कि दो लाख रुपये महज घर खर्च चलाने के लिए हैं, जबकि महिला पहले से ही पति के एक अलग घर में रह रही है.