बीजापुर. बीती रात विस्थापित बालक आश्रम तामोड़ी के एक छात्र की मलेरिया से मौत के बाद पूर्व मंत्री महेश गागड़ा ने शासन-प्रशासन और स्थानीय विधायक पर निशाना साधा है. उन्होंने सरकार की मलेरिया मुक्त प्रसार-प्रसार और सर्वे पर प्रश्नचिन्ह लगाते हुए स्थानीय विधायक समेत जिला प्रशासन की निष्क्रियता पर सवाल उठाया है. गागड़ा ने कहा कि पूर्ववर्ती भाजपा सरकार की आदिवास बच्चों को आवासीय शिक्षा देने की प्रकल्पना रही है. लेकिन कांग्रेस की सरकार आते इस पर पलीता लग गया है.

मलेरिया से हुई छात्र की मौत पर दुख व्यक्त करते हुए गागड़ा ने स्थानीय विधायक और जिला प्रशासन पर आरोप की बारिश कर दी. प्रेस कॉन्फ्रेंस कर गागड़ा ने कहा कि जिला प्रशासन ने आज तक पोटाकेबिन आश्रमों की व्यवस्थाओं का जायजा नहीं लिया है. सरकार बदलने के बाद से ही आश्रम पोटाकेबिन सिर्फ और सिर्फ सामग्री सप्लाई का केंद्र बना हुआ है. ये सिर्फ ठेकेदार, विधायक और प्रशासन की कमाई का जरिया बनकर रह गया है. उन्होंने कहा कि जब से कांग्रेस की सरकार बनी है, तब से मलेरिया और अन्य रोगों से ग्रसित हो रहे बच्चों के खानपान, शिक्षा व्यवस्था और स्वास्थ्य की नियमित जांच के लिए स्थानीय विधायक समेत प्रशासन की तरफ से कोई प्रॉपर मॉनिटरिंग नहीं की गई है.

व्यवस्थाओं पर प्रश्नचिन्ह

गागड़ा ने कहा कि आदिवासी बच्चों को आवसीय शिक्षा देने की पूर्व सरकार की प्रकल्पना थी, जिस पर अब पलीता लगाते हुए बच्चों के भविष्य को अधर में छोड़ दिया गया है. बच्चे बेमौत मर रहे हैं लेकिन सरकार और विधायक को कोई फर्क नहीं पड़ रहा है. पिछले दो वर्षों में सरकार एक ओर बस्तर में मलेरिया मुक्त का नारा देती आई है. इसके साथ ही तमाम सर्वे में मलेरिया से निजात की बात की जाती है, लेकिन दूसरी ओर मलेरिया से होने वाली मौत सरकार की व्यवस्था पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करती है.

खानापूर्ति से समस्याओं का समाधान नहीं होगा- पूर्व मंत्री

पूर्व मंत्री ने कहा कि स्थानीय विधायक और प्रशासन को दरकार है कि वो व्यवस्थाओं का जायजा लेकर उन्हें बेहतर करे. इस तरह से आदिवासी बच्चों को मौत के मुंह में नहीं छोड़ सकते. संबंधित विभाग के जिम्मेदार जिले के उन संस्थाओं तक पहुंचकर वहां की स्थितियों का जायजा लें, खानापूर्ति से समस्यओं का समाधान नहीं होगा.

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