मनीष मारू, आगर मालवा। जिला मुख्यालय में प्रसिद्ध बाबा बैजनाथ महादेव का मंदिर है जहां वर्षों से भगवान के साथ भक्त की पूजा भी होती आ रही है। मंदिर गर्भगृह के ठीक सामने बैजनाथ महादेव के अनन्य भक्त आगर में जन्मे जयनारायण बापजी की प्रतिमा लगी है। जहां वर्षों से भगवान के बाद भक्त की पूजा श्रद्धालुओं के द्वारा की जाती है।
सावन माह में रविवार (31 जुलाई) को बापजी का 125 वां जन्म महोत्सव वर्ष मनाया गया। उनके अनुयायियों नित्यानंद भक्त मंडल ने समारोह पूर्वक प्रतिमा का अभिषेक पूजन किया। शोभायात्रा भी नगर में निकाली गई, जिसमें सैकड़ों लोग शामिल हुए। आगर के न्यायालय परिसर में आरती के साथ शोभायात्रा का समापन हुआ। इस अवसर पर मध्यप्रदेश सहित दिल्ली, गुजरात और राजस्थान से उनके अनुयायी मंदिर पहुंचे और कार्यक्रम में शामिल हुए।
ऐसी हुई थी चमत्कारिक घटना
23 मार्च 1896 को बाबा बैजनाथ महादेव के अनन्य भक्त पेशे से वकील जयनारायण बापजी का जन्म हुआ था। इतिहास में दर्ज है कि उनके साथ जुलाई 1931 में एक चमत्कारी घटना हुई। घटना के अनुसार बापजी प्रतिदिन सुबह 5 बजे मंदिर जाते और सुबह 9 बजे तक पूजा अर्चना और ध्यान के बाद कचहरी में पैरवी के लिए जाते थे। जुलाई 1931 में भी एक दिन बापजी दर्शन पूजन को मंदिर गए, लेकिन भगवान महादेव के ध्यान में ऐसे लीन हुए कि दोपहर की 3 बज गई। जैसे ही ध्यान टूटा तो घबराते हुए अपने साथी पंडित नानुराम (आगर गोपाल मंदिर के पुजारी) और अध्यापक रेवाशंकर के साथ कचहरी पंहुंचे। वहां पहुंचने पर साथी वकीलों उन्हें बधाई दी और कहने लगे कि आपने क्या जोरदार पैरवी की। अपने मुवक्कील को बा-ईज्जत बरी करवा लिया। यह बात उनको समझ में नहीं आई।
उन्होंने न्यायालय में जाकर अपने हस्ताक्षर को देखा। न्यायाधीश मौलवी मुबारिक हसन ने कहा कि आप समय पर कोर्ट में हाजिर हुए और आपने ही पैरवी की है। एक अन्य केस की तारीख भी आपने डायरी में नोट की है। बताया जाता है कि उनके स्थान पर स्वयं भगवान भोलेनाथ में उपस्थित होकर पैरवी की थी। भक्त के रूप में स्वयं भगवान द्वारा पैरवी करने की इस चमत्कारिक घटना के बाद भगवान बैजनाथ के प्रति अटूट आस्था बढ़ गई। इसके बाद बापजी 27 जनवरी 1932 को डॉ. गोपीकिशन खण्डेलवाल की बारात में गए और वहीं से अपने गुरू नित्यानंद जी के पास धार के समीप आश्रम चले गए और फिर लौटकर नहीं आए। बापजी के साथ हुए इस चमत्कारिक घटना के चलते संगमरमर से निर्मित बापजी की आदमकद ध्यानमग्न प्रतिमा मंदिर के गर्भगृह के सामने स्थापित की गई है।
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