रायपुर. राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (NIT Raipur) के वास्तुकला विभाग की ओर से 2 और 3 अगस्त, 2022 को दो दिवसीय ऑनलाइन कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया. इस सम्मेलन में “पर्यावरणीय, सामाजिक और आर्थिक क्षेत्रों में शहरीकरण का बढ़ता प्रभाव ” पर चर्चा की गई. कार्यक्रम के संरक्षक प्रो. डॉ. ए.एम. रावाणी, निदेशक, NIT रायपुर और सह- संरक्षक प्रो.डॉ.प्रभात दीवान , डीन, शोध एवं परामर्श और प्रो.डॉ.स्वस्ति स्थापक, विभागाध्यक्ष, वास्तुकला विभाग भी शामिल थे. सम्मेलन की अध्यक्षता प्रो.डॉ. अबीर बंधोपाध्याय ने की.
इस दो दिवसीय सम्मेलन को 4 सत्रों मैं विभाजित किया गया था. प्रतिभागियों के उचित मार्गदर्शन के लिए बिषय विशेषज्ञ भी इस सम्मेलन मैं आमंत्रित किए गए थे. सम्मेलन में देशभर से 37 प्रतिभागियों ने भाग लिया और विषय से संबंधित अपने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए .
सम्मेलन के पहले दिन के प्रमुख वक्ता प्रो.डॉ.सेकेत कुमार पॉल, सहायक प्राध्यापक, आर्किटेक्चर एंड रीजनल प्लानिंग, IIT खड़गपुर, पश्चिम बंगाल रहे . डॉ.पॉल ने जलवायु परिवर्तन के लिए जिम्मेदार कारकों पर प्रमुखता से प्रकाश डाला और कहा कि भारत कार्बन उत्सर्जन की श्रेणी मै आठवें और ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन की श्रेणी मैं चौथे नंबर पर आता है. उन्होंने कहा कि 2030 तक जलवायु परिवर्तन एक विकराल समस्या बन जाएगी और भुखमरी, प्राकृतिक आपदाएं जैसी समस्याएं बढ़ जाएंगी. उन्होंने इस बात पर जोर दिया है कि इस जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ने के लिए शोधकर्ताओं के रूप में किन बिंदुओं पर योगदान दिया जा सकता है .
विभिन्न विषयों पर की चर्चा
इसी प्रकार दूसरे दिन की प्रमुख वक्ता प्रो.डॉ.शीबा वालसन , पूर्व प्राचार्य, दत्ता मेघे कॉलेज, नागपुर ,महाराष्ट्र रहीं. उन्होंने पर्यावरण पर शहरीकरण के बढ़ते प्रभाव जैसे वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण और जल प्रदूषण इत्यादि का विस्तृत वर्णन किया. उन्होंने उपरोक्त समस्याओं के निवारण के लिए वर्टिकल गार्डन का प्रयोग और लोगो में पर्यावरण के प्रति जागरूकता संबंधी सुझाव भी शोधार्थियों को दिए ताकि वे संबंधित समस्याओं के निवारण के लिए अपना शोध कार्य कर सकें. सम्मेलन की सचिव प्रो.डॉ.वंदना अग्रवाल सहायक प्राध्यापक, वास्तुकला विभाग और प्रो.कबिता बिस्वास शर्मा, सहायक प्राध्यापक, वास्तुकला विभाग रही. कार्यक्रम के संयोजक सदस्य प्रो.सायोन परमाणिक सहायक प्राध्यापक, वास्तुकला विभाग और प्रो.श्रुति शरद नागदेवे सहायक प्राध्यापक, वास्तुकला विभाग शामिल रहे.
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