रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गुरुवार को शहर के सुभाष स्टेडियम में आयोजित मोर महापौर मोर द्वार कार्यक्रम में शिरकत की. इस दौरान उन्होंने कहा कि सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों के साथ-साथ शहरी क्षेत्रों में भी विकास की बराबर चिंता की है. आम नागरिकों तक सेवाओं को पहुंचाने के लिए कई सफल योजनाएं संचालित की है. अब लोगों को आय, जाति, निवास, शादी का रजिस्ट्रेशन जैसे कागजों के लिए दफतरों के चक्कर नहीं काटने पड़ते है. इन दौरान उन्होंने रायपुर नगर निगम क्षेत्र में आम जनों की समस्याओं को जानने और उनके मौके पर ही निराकरण के अभियान की भी खुलकर तारीफ की.

कार्यक्रम में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने उत्कृष्ट कार्य करने वाले निगम के अधिकारियों और कर्मचारियों को सम्मानित भी किया. इसके साथ ही निगम क्षेत्र में शासकीय योजनाओं से लाभान्वित होने वाले हितग्राहियों से भी बात की. कार्यक्रम में महापौर एजाज ढेबर, रायपुर ग्रामीण विधानसभा के विधायक सत्यनारायण शर्मा, छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मंडल के अध्यक्ष कुलदीप जुनेजा, खादी ग्राम उद्योग बोर्ड के अध्यक्ष राजेश तिवारी, छत्तीसगढ योग आयोग के अध्यक्ष ज्ञानेन्द्र शर्मा, नगर निगम के सभापति प्रमोद दुबे सहित कलेक्टर सर्वेश्वर भुरे, नगर निगम आयुक्त मयंक चतुर्वेदी और अन्य अधिकारी तथा बड़ी संख्या में शहरवासी भी शामिल हुए.

मुख्यमंत्री ने शहरवासियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि कुछ साल पहले नगर निगम क्षेत्र में पानी की सप्लाई टैंकरों से होती थी. प्रदेश की राजधानी की इस दशा को हमारी सरकार ने सुधारा है और राजधानी को टैंकर मुक्त बनाया है. उन्होंने यह भी कहा कि पीने के पानी की बात हो या साफ-सफाई की या फिर शहरवासियों के रोजगार और सुख सुविधा की, सभी के लिए सरकार नगर निगम के साथ तेजी से प्रयास कर रही है.

बीरगांव नगर निगम क्षेत्र में अभी-अभी 104 करोड़ रुपए की लागत से नया जल शोधन संयंत्र शुरू हुआ है. मुख्यमंत्री ने रायपुर नगर निगम सहित पूरे प्रदेश के नगर निकायों को स्वच्छता के क्षेत्र में भारत सरकार से मिले राष्ट्रीय पुरस्कारों पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि पार्षदों, अधिकारियों की मेहनत, स्वच्छता दीदीयों के पसीने और जन सहयोग से छत्तीसगढ़ को लगभग 60 से अधिक पुरस्कारों से नवाजा गया. यह हर छत्तीसगढ़िया व्यक्ति के लिए गर्व की बात है. उन्होंने रायपुर नगर निगम को स्वच्छता सर्वेक्षण में इस बार छठवें नम्बर से पहले नम्बर पर लाने के लिए प्रयास करने की अपील भी की.

मुख्यमंत्री ने राज्य सरकार की धन्वंतरी योजना, गरीबों की इलाज के लिए 5 लाख रुपए तक की डॉ. खूबचंद बघेल स्वास्थ्य सहायता योजना और गंभीर बीमारियों के लिए 20 लाख रूपए तक की सहायता वाली मुख्यमंत्री विशेष स्वास्थ्य सहायता योजना के बारे में भी बताया.

आत्मानंद स्कूल के लिए 10 हजार से अधिक आवेदन

कार्यक्रम में महापौर एजाज ढेबर ने बताया कि मोर महापौर मोर द्वार कार्यक्रम के तहत आयोजित हुए शिविरों में सबसे अधिक लगभग 10 हजार से अधिक आवेदन केवल स्वामी आत्मानंद स्कूल खोलने के लिए मिले हैं. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री बघेल की इस योजना की लोकप्रियता इतनी है कि हर व्यक्ति, जनप्रतिनिधि अपने वार्ड में स्वामी आत्मानंद स्कूल शुरू कराकर अपने बच्चों को उसमें पढ़ाना चाहता है.

अवैध निर्माण के नियमितिकरण से मिली राशि निगम को

मुख्यमंत्री बघेल ने कार्यक्रम में नगरीय क्षेत्रों में 5 हजार वर्ग फीट तक के अवैध निर्माण के नियमितिकरण की योजना के बारे में भी जानकारी दी. उन्होंने महापौर श्री एजाज ढेबर की मांग पर इस प्रकार के नियमितिकरण से मिली राशि में से 25 प्रतिशत राशि संबंधित नगर निगम और नगरीय निकायों को उपलब्ध कराने की घोषणा की. इस 25 प्रतिशत राशि से नगरीय क्षेत्रों में विकास को नये आयाम मिलेंगे और जनसुविधाओं में भी बढ़ोत्तरी होगी. इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने महापौर की मांग पर ही रायपुर नगर निगम क्षेत्र में नाली, सड़क निर्माण जैसे छोटे-छोटे कामों के लिए 10 करोड़ रूपए भी मौके पर ही मंजूर किए.

साढ़े 23 हजार समस्याओं का हुआ निराकरण

मोर महापौर मोर द्वार कार्यक्रम के बारे में बताते हुए महापौर एजाज ढेबर ने कहा कि 35 दिन शहर के हर दो वार्डाें में नगर निगम के अधिकारियों-कर्मचारियों जनप्रतिनिधियों ने शिविर लगाकर लोगों की समस्याओं को सुना. उन्होंने बताया कि इस दौरान कुल 28 हजार 059 आवेदन मिले, जिनमें से 23 हजार 582 आवेदनों का मौके पर ही निराकरण कर दिया.शेष आवेदनों का परीक्षण कर कार्यवाही सुनिश्चित की जाएगी.

सबसे ज्यादा आय प्रमाण पत्र की मांग

उन्होंने बताया कि इन शिविरों में 6 हजार 567 आय प्रमाण पत्र, 3 हजार 164 आयुष्मान कार्ड, एक हजार 370 ई-श्रमिक कार्ड, एक हजार 082 आधार कार्ड, 896 निवास प्रमाण पत्र, 873 राशन कार्ड, 871 जाति प्रमाण पत्र बनाकर शिविर स्थल पर ही लोगों को दिए गए. महापौर ने बताया कि वार्डवार इन शिविरों में स्व-सहायता समूह की महिलाओं को 5 करोड़ रुपए तक के ऋण स्व-रोजगार के लिए दिए गए और लोगों की मांग पर मूलभूत सुविधाओं के लिए एक करोड़ रूपए से अधिक कामों के लिए स्वीकृति भी शिविरों में दिए गए.

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