रांची. नक्सलियों ने भले ही क्रांति, बदलाव और लंबे-लंबे नारों के जरिए लोगों को बरगलाने का काम देश के कई हिस्सों में जारी रखा हो लेकिन अब उनकी हकीकत की परतें कुछ और ही कहानी कह रही हैं.

गरीब, बेसहारा, लाचारों की लड़ाई लड़ने वाले नक्सली बेहद शातिर तरीके से उगाही की गई रकम को बकायदा प्रोफेशनल्स की मदद से दो दूनी पांच करने में लगे हैं. इसका खुलासा रांची में एनआईए की कुछ फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस पर की गई छापेमारी के दौरान हुआ है. एनआई ने झारखंड के लातेहार जिले के गारू थाना क्षेत्र के चांपीकोट्टाम गांव के दो लोगों संतोष उरांव औऱ उसके रिश्तेदार बाजकुम निवासी रोशन उरांव को सात दिनों की पुलिस रिमांड पर लिया. जब उनसे पूछताछ की गई तो इन दोनों ने बताया कि ये माओवादियों का पैसा बड़ी तादाद में म्युचुअल फंड में लगाने का काम कर रहे हैं.

ये पुलिस औऱ एनआईए के लिए चौंकाने वाली बात थी कि माओवादी अब उगाही की गई रकम को अच्छे रिटर्न के लिए म्युचुअल फंड में लगा रहे हैं. इतना ही नहीं वे कई चिट-फंड कंपनियों में भी पैसा लगा रहे हैं. इस किस्म का स्मार्ट निवेश उन नक्सलियों द्वारा किया जा रहा है जो जंगलों और गांवों में रहकर गरीबों और उनके हक की लड़ाई की बात कर रहे हैं.

एनआईए ने लातेहार जिले के बालूमाथ थाने में बकायदा एफआईआर दर्ज कराई है. जिसके आधार पर सहारा इंडिया के ब्रांच मैनेजर चंदन कुमार को हिरासत में लिया गया है. जांच में पता चला कि नक्सली बड़ी रकम सहारा इंडिया की बालूमाथ शाखा में जमा करा रहे हैं. इतना ही नहीं माओवादियों के सब जोनल कमांडर छोटू खरवार की पत्नी ने 12 लाख रुपये उस शाखा में जमा कराए थे.

एनआईए के लिए ये चौंकाने वाला तथ्य है कि अब नक्सली भी जबरन वसूली का पैसा लोगों की भलाई औऱ राहत की बजाय अपने फायदे के लिए उन-उन फाइनेंशियल सेक्टर्स में लगा रहे हैं जहां उन्हें मोटा मुनाफा हो. ऐसे में सर्वहारा की लड़ाई की आड़ में मलाई खाने का कारोबार इनके मंसूबों और मकसद दोनों को बयान कर रहे हैं.