InSide Story: प्रतीक चौहान. रायपुर. राजधानी रायपुर के रेलवे स्टेशन में लंबे समय तक फल ट्राली चलाने वाला कमलेश सोनकर अचानक से आरपीएफ अधिकारियों का खास हो जाता है. थाने में आने वाले बड़े से बड़े साहब को चाय-पानी पिलाना हो या अधिकारियों की चमचमाती गाड़ी धोनी हो. कमलेश एक आवाज में हाजिर रहता था. लेकिन आज ये गांजा ले जाने के मामले में जीआरपी की हिरासत में है. लेकिन हम आपको इस आरोपी के आरपीएफ अधिकारियों के खास होने और क्राइम में लिप्त होने की पूरी Inside Story बता रहे है.

 कभी रायपुर रेलवे स्टेशन में फल ट्राली चलाने वाला कमलेश यहां से काम छोड़कर रायगढ़ चले जाता है. लेकिन वहां एक गंभीर अपराध में फंस जाता है. इसके बाद पुनः रायपुर आता है, और यहां अवैध तरीके से वेंडिंग शुरू करता है. इसी बीच उसकी जान-पहचान आरपीएफ के ‘स्पेशल’ काम करने वाले आरक्षकों से होती है.

अब आप सोच रहे होंगे कि ‘स्पेशल’ यानी. तो आपको बता दें कि आरपीएफ में जो स्टॉफ सादी वर्दी में काम करते है उन्हें स्पेशल कहा जाता है. हालांकि, ये अनाधिकृत काम है, जो रायपुर आरपीएफ पोस्ट में हुआ करता था, लेकिन अभी ये रायपुर पोस्ट में बंद है.

आरपीएफ अधिकारियों से पहचान होने और थाने में सेवा करने के एवज में उन्हें वेंडिंग की छूट शुरू कर दी गई. सेवा के एवज में कमलेश रायपुर रेलवे स्टेशन में अपने अवैध वेंडर चलाने लगा. इसी बीच उसकी लालच धीरे-धीरे बढ़ती गई और संरक्षण के चलते वो गांजा लाने-ले जाने और उसे ठिकाने लगाने का काम करने लगा.

ऐसे हुई इस सेवक की आरपीएफ पोस्ट से छुट्टी

सूत्र बताते है कि गांजा तस्करी के आरोपी कमलेश की पोस्ट से छुट्टी तब हुई जब उसने कथित रूप से गांजा समझकर एक यात्री के बैग के उतार लिया था. इसके बाद यात्री ने चोरी की शिकायत की, रायपुर रेलवे स्टेशन में आरपीएफ ने जब सीसीटीवी फुटेज की जांच की तो यही कमलेश एक ट्राली बैग ले जाते हुए दिखा. जिसे बाद में ये कह दिया गया कि उक्त यात्री (कमलेश) ने गलती से वो बैग उतार लिया था और फिर इस बैग को सकुशल यात्री को सौंप दिया गया, जिसके बाद मामला ठंडा हुआ. लेकिन असल में हुआ ये था कि जिस बैग में संभवतः गांजा था, उसे न उतारकर वो किसी दूसरे बैग को उतार लिया था. जिसके बाद कोई बवाल न हो ये सोचकर आरपीएफ ने कमलेश की पोस्ट से छुट्टी कर दी और तब से लेकर आज तक वो कभी आरपीएफ पोस्ट में नहीं देखा गया.

आरपीएफ को कभी कमलेश क्यों नहीं मिला ट्रेन में गांजा लाते  ?

अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि कमलेश ओड़िशा के रास्ते ट्रेन से ये गांजा लाता था. सूत्र बताते हैं कि कमलेश अक्सर ओड़िशा से रात में आने वाली पैसेंजर ट्रेन में देखा गया. लेकिन हैरानी की बात ये है कि आरपीएफ ने कभी अपने इस सेवक को नहीं पकड़ा और न उसके बैग की तलाशी ली. या इसे इसकी छूट थी, ये जांच का विषय है. इससे ज्यादा हैरानी की बात ये है कि कमलेश जीआरपी और आरपीएफ दोनों थानों में कई जगह बतौर गवाह के रूप में भी कागजों में दर्ज है.

शंकरगढ़ में पकड़ाया था गांजा, आरपीएफ को मिली थी चार्जशीट

पिछले दिनों दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के आरपीएफ आईजी ने कई अधिकारियों को चार्जशीट दी. जिसमें ये कहा गया कि बड़ी मात्रा में सारनाथ एक्सप्रेस से आरोपी रायपुर से गांजा लेकर चढ़े और शंकरगढ़ में आरपीएफ ने आरोपी को पकड़ा. लेकिन रायपुर आरपीएफ की टीम उसे पकड़ने में नाकाम रही. जिसके बाद उन्हें चार्जशीट दी गई है. हालांकि, इस मामले को आरपीएफ कितना गंभीर लेते हैं, ये तो आरपीएफ के उच्च अधिकारी ही बताएंगे. लेकिन यदि इस मामले की गंभीरता से जांच हुई तो निश्चित रूप से कई चौकाने वाले खुलासे संभव है. इसकी पुष्टि उस शिकायत पत्र में भी की गई है, जिसमें आरपीएफ-जीआरपी के लोगों का आरोपी कमलेश के घर जाना-आना बताया गया है.

पहाड़ी चौक में बनाया आलीशान घर

कमलेश को जानने वाले लोग बताते है कि उसने कुछ महीनों पहले ही पहाड़ी चौक में एक आलीशान घर बनाया है. वहीं आरोपी कमलेश का अपने भाई और भतीजे से प्रॉपर्टी का विवाद चल रहा है. जिसके बाद उसके भतीजे ने पीएचक्यू में गांजा तस्करी को लेकर शिकायत की है. वहीं एक अन्य फल ट्राली का संचालन करने वाले व्यक्ति की भी शिकायत उस पत्र में की गई है.

रायपुर रेलवे स्टेशन में एक और सेवक

खाली कमलेश ही नहीं रायपुर रेलवे स्टेशन में अब एक और सेवक आरपीएफ की सेवा में लगा हुआ है. हालांकि, अधिकारियों ने उसकी महीने की आय का स्रोत फिक्स करवा दिया है. लेकिन वो काम आरपीएफ के अधिकारियों के लिए करता हुआ किसी भी वक्त देखा जा सकता है. यहां तक की थाने की चाबी भी इसी सेवक के पास रहती है, और इसी सेवक के पास से अधिकारी-कर्मचारी चाबी लेकर अपना थाना खोलते हैं.