नई दिल्ली। प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में नई दिल्ली में आयोजित नीति आयोग (Niti ayog) की गवर्निंग काउंसिल की सातवीं बैठक में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल शामिल हुए. इस दौरान मुख्यमंत्री ने बैठक से संबन्धित एजेंडा बिन्दुओं के अतिरिक्त राज्यहित से जुड़ी विभिन्न योजनाओं और विषयों पर अपनी बात रखी. वहीं बैठक में प्रधानमंत्री ने छत्तीसगढ़ की गोधन न्याय योजना का जिक्र भी किया.
सीएम बघेल ने बताया कि बैठक में प्रधानमंत्री ने विशेषकर गोधन न्याय योजना का जिक्र करते हुए कहा कि गोबर से तैयार हो रहे वर्मी कंपोस्ट खेतों की उत्पादकता बढ़ाने में सहायक है. उन्होंने कहा कि यह किसानों के हित में अच्छी योजना है. सीएम ने कहा कि पिछले साढ़े तीन वर्षों में नीति आयोग ने प्रदेश के आकांक्षी जिलों के बेहतर प्रदर्शन की सराहना की है. लेकिन राज्य में संसाधनों की समस्याएं अभी भी हैं, जिनका समाधान होना चाहिए.
फसल विविधीकरण पर दिया जोर
नीति आयोग गवर्निंग बॉडी की इस बैठक में उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ अनाज उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर है. फसल विविधीकरण को बढ़ावा देने के लिए राजीव गांधी किसान न्याय योजना, मुख्यमंत्री वृक्षारोपण प्रोत्साहन योजना लागू करने के साथ ही छत्तीसगढ़ मिलेट मिशन गठित किया गया है. सीएम बघेल ने सुझाव दिया कि फसल विविधीकरण और दलहल, तिलहन का उत्पादन समेत उत्पादकता बढ़ाने के लिए नई विकसित फसल किस्मों के नि:शुल्क बीज मिनी किट एवं ब्रीडर सीड बड़े पैमाने पर कृषि अनुसंधान संस्थानों के माध्यम से उपलब्ध कराया जाना चाहिए.
शिक्षा और नगरीय प्रशासन पर चर्चा
राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन के संबंध में मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रदेश में इस दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं. स्वामी आत्मानन्द उत्कृष्ट अंग्रेजी माध्यम स्कूल की स्थापना सहित अच्छी गुणवत्ता की अधोसंरचना, उपकरण, शैक्षिक और पाठ्यसहगामी गतिविधियों का संचालन किया जा रहा है. वहीं, नगरीय प्रशासन पर चर्चा करते हुए बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ ने लगातार तीन वर्षों से राज्य स्वच्छ सर्वेक्षण में बाजी मारी है. प्रदेश के शहरी क्षेत्रों में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन में बेहतर कार्य किए गए हैं. उन्होंने सुझाव दिया कि शहरों के निकट स्थित ग्रामीण क्षेत्रों और 20 हजार से कम आबादी के शहरों में मनरेगा लागू किया जाए.
GST क्षतिपूर्ति का उठाया मुद्दा
इसके अलावा मुख्यमंत्री ने बैठक में जीएसटी क्षतिपूर्ति (GST compensation) का मुद्दा भी उठाया. उन्होंने कहा कि जीएसटी कर प्रणाली से राज्यों को राजस्व की हानि हुई है. आगामी वर्ष में राज्य को लगभग 5000 करोड़ के राजस्व की हानि की भरपाई की व्यवस्था केंद्र द्वारा नहीं की गई है. इसलिए जीएसटी क्षतिपूर्ति अनुदान को जून 2022 के बाद भी आगामी 5 वर्षों के लिए जारी रखा जाए. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि विगत 3 वर्षों के केन्द्रीय बजट में छतीसगढ़ को केन्द्रीय करों में हिस्से की राशि 13,089 करोड़ कम प्राप्त हुए हैं. जिससे राज्य के संसाधनों पर अत्याधिक दबाव की स्थिति निर्मित हुई है. केन्द्रीय करों के हिस्से की राशि पूर्णतः राज्य को दी जाए.
रॉयल्टी दरों में संशोधन की मांग
सीएम बघेल ने कोल ब्लॉक कंपनियों से कोल उत्खनन पर 295 रुपये प्रति टन के मान से केंद्र के पास जमा राशि 4,140 करोड़ छत्तीसगढ़ को शीघ्र देने की मांग की. उन्होंने कहा कि राज्य का लगभग 65 प्रतिशत खनिज राजस्व का स्रोत प्रदेश में संचालित लौह अयस्क खानें है. रॉयल्टी दरों में संशोधन राज्य के वित्तीय हित में आवश्यक है. उन्होंने कोयला और अन्य मुख्य खनिजों की रॉयल्टी की दरों में संशोधन का भी अनुरोध किया. उन्होंने कहा कि आंतरिक सुरक्षा पर होने वाला व्यय केंद्र शासन द्वारा वहां किया जाना चाहिए. नक्सल उन्मूलन के लिए राज्य में केंद्रीय बलों की तैनाती पर हुए सुरक्षा व्यय 11 हजार 828 करोड़ रुपये को केंद्र सरकार द्वारा वहन करते हुये राज्य को इस बकाया से मुक्त किया जाए.
जूट बारदाने की उपलब्धता सुनिश्चित कर ने का आग्रह
मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ के वनांचल 10 आकांक्षी जिलों में 5 मेगावाट तक के सौर ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना में वन संरक्षण अधिनियम के तहत छूट देने का भी आग्रह किया है. इसके साथ ही उन्होंने नवीन पेंशन योजना में जमा राशि की वापसी, जूट बारदाने की उपलब्धता सुनिश्चित करने सहित अन्य लंबित मांगों पर शीघ्र कार्रवाई का अनुरोध किया.
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