जगदलपुर। भूमि अधिग्रहण के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कंपनी के अधिकारियों की मिलीभगत से 100 करोड़ रुपये की राशि हड़पने के मामले में दो जमीन मालिकों नीलिमा बेलसारिया और बाली नागवंशी को राहत दी है. इस मामले को लेकर हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दोनों जमीन मालिकों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को स्वीकार कर लिया है. हाईकोर्ट के फैसले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने स्थगन का आदेश देते हुए अगले 6 हफ्ते में जवाब मांगा है.
रावघाट-जगदलपुर रेलमार्ग में 100 करोड़ रुपये से अधिक के भूमि अधिग्रहण घोटाले में बीआरपीएल के पक्ष में हाईकोर्ट का फैसला आने के बाद बस्तर कलेक्टर चंदन कुमार ने कार्रवाई शुरू कर दी है. कलेक्टर ने आरोपी बाली नागवंशी एवं नीलिमा बेलसरिया को नोटिस जारी कर पल्ली, अघनपुर, कांगोली एवं घाटपदमूर की निजी भूमि के संबंध में भुगतान की गई समस्त मुआवजा राशि कलेक्टर बस्तर के बैंक खाते में 15 दिन के भीतर जमा करने का निर्देश दिए हैं.
जगदलपुर तहसील के 4 गांव पल्ली, अघनपुर, घाटपदमुर और कांगोली के 108 खातेदारों की 28 हेक्टेयर भूमि रेलवे द्वारा अधिग्रहित की गई थी, जिसकी क्षतिपूर्ति राशि 152.8 करोड़ का भुगतान किया गया. हैरान करने वाली बात यह है कि पल्ली गांव में बाली नागवंशी और नीलिमा बेलसारिया पति टीवी हैं. सबसे ज्यादा 99.07 करोड़ रुपये का मुआवजा खाताधारक रवि के कब्जे की 4.18 हेक्टेयर जमीन का मिला है. शेष 24 हेक्टेयर के 101 खाताधारकों को मात्र 53.51 करोड़ का मुआवजा मिला है, इसके अलावा दोनों आरोपितों ने साजिश कर सरकार से और भी अधिक ठगी की है.
घोटाले की खबर मीडिया में छपने के बाद तत्कालीन कलेक्टर अय्याज तंबोली ने एसआईटी का गठन कर मामले की जांच कराई थी. जांच में घोटाला साबित होने के बाद तत्कालीन कलेक्टर ने बाली नागवंशी नीलिमा बेलसारिया अपर कलेक्टर, एसडीएम, इरकान के अधिकारियों समेत 10 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी.
इसके खिलाफ सभी आरोपियों ने बिलासपुर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिस पर पहले सिंगल बेंच और फिर बाद में डबल बेंच ने भी आरोपियों की अर्जी खारिज कर दी थी. हाईकोर्ट ने कलेक्टर को निर्देश दिया था कि आरोपी से मुआवजे की राशि जमा करने के बाद नए सिरे से मुआवजे की गणना की जाए. साथ ही सही मुआवजे का बंटवारा किया जाए.
बस्तर कलेक्टर ने बाली नागवंशी और नीलिमा बेलसरिया को नोटिस जारी कर 15 दिन में कलेक्टर बस्तर के बैंक खाते में रकम जमा कराने के निर्देश दिए हैं. इसके साथ ही उन्होंने आरोपितों की संपत्तियों की बिक्री पर भी रोक लगा दी. कलेक्टर के इस फैसले से आरोपितों और भूमाफियाओं के बीच हड़कंप मच गया.
इधर, उच्च न्यायालय के निर्देशानुसार कलेक्टर चंदन कुमार ने एसडीएम जगदलपुर को उच्च न्यायालय की मंशा के अनुरूप मुआवजे की नए सिरे से गणना करने का निर्देश दिया था. इस संबंध में जल्द ही टीम बनाकर यह काम शुरू किया जाएगा.
इधर, बस्तर कलेक्टर चंदन कुमार ने कहा कि हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार मुआवजा व अन्य प्रक्रिया पूरी की जाएगी. इस संबंध में कार्रवाई शुरू हो चुकी है. इस मामले में दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट द्वारा मामले का संज्ञान लेने और याचिका को मंजूरी मिलने के बाद जमींदारों को कुछ राहत मिलने की उम्मीद है.
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