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मनोज यादव, कोरबा। कुसमुंडा खदान में रोजगार की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे भूविस्थापितों का गुस्सा एक बार फिर फूटा. पूर्व में किए गए आंदोलन के बाद चार भूविस्थापितों को जेल भेजे जाने के विरोध में ग्रामीणों ने सोमवार को फिर खदान में काम कर रही नियोजित कंपनी नीलकंठ का काम फिर रुकवा दिया.
ग्राम पाली, पडनिया, जटराज और सोनपुरी के ग्रामीणों ने खदान में काम रुकवाने की सूचना मिलते ही कुसमुंडा पुलिस मौके पर पहुंची. इसके कुछ देर बाद एसडीएम कौशल प्रसाद तेंदुलकर भी एसईसीएल अधिकारियों के साथ मौके पर पहुंचे और ग्रामीणों को समझाइश देने का प्रयास किया. ग्रामीण अपने लोगों को जेल से छूटने के बाद ही मौके से हटने पर अड़े थे.
इसी बीच दर्री नगर पुलिस अधीक्षक लितेश सिंह मौके पर पहुंची और ग्रामीणों को सड़क से उठने को कहा, अन्यथा कार्रवाई की चेतावनी दी. काफी समझाइश के बाद ग्रामीण सड़क से उठकर एक किनारे खड़े हो गए. इस तरह से घण्टों की मशक्कत के बाद खदान से गाड़ियों का परिचालन शुरू हुआ. लगभग 3.30 घंटे बाद मिट्टी एवं कोल डिस्पैच का काम शुरू हुआ.
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आने वाले समय में बड़े आंदोलन की दी चेतावनी
रोजगार की मांग कर रहे भूविस्थापित ग्रामीणों का कहना है कि एसईसीएल का रवैया अड़ियल व दमन करने वाला है. खदान विस्तार में हमारी जमीन जा रही है. इसके एवज में हमारे लोगों को रोजगार देने के बजाय उन्हें जेल में डाला जा रहा है. आज हम आंदोलन से उठ गए है, लेकिन एसईसीएल का ऐसा ही रवैया रहा तो आने वाले समय में वृहद आंदोलन होगा. अनिश्चितकाल तक खदान में काम बंद किया जाएगा.
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