रायपुर. अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में रोगियों को हृदयाघात के तुरंत बाद दिए जाने वाले आकस्मिक उपचार बेसिक लाइफ सपोर्ट (बीएलएस) और एडवांस्ड कार्डियोवस्कुलर लाइफ सपोर्ट (एसीएलएस) विषय पर अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन सर्टिफाइड कोर्स आयोजित किया गया. निश्चेतना विभाग के द्वारा आयोजित एम्स का पहला तीन दिवसीय कार्यशाला में प्रदेश और बाहर के 33 चिकित्सकों और नर्सिंग ऑफिसर्स ने भाग लिया.

इस अवसर पर आयोजक सचिव और संयोजक डा. सरिता रामचंदानी का कहना था कि यदि त्वरित सीपीआर प्रदान किया जाए तो गंभीर और हृदयागति
रुकने वालें मरीजों की जान को बचाया जा सकता है. उन्होंने बताया सीपीआर एक प्रक्रिया है, जिसमें सांस रुक जाने पर धड़कन सामान्य हो जाने तक छाती को दबाया जाता है. इस प्रक्रिया के तहत रोगी के मुंह से भी सांस दी जाती है. निश्चेतना विभागाध्यक्ष प्रो नंदकिशोर अग्रवाल ने कहा अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के मुताबिक गुणाबत्ता के दृष्टि से सीमित लोगों को प्रशिक्षण के प्रबधान के अनुसार हर 3 से 6 महीने में ये कोर्स किया जाएगा.

कोर्स का उद्घाटन करते हुए निदेशक प्रो. (डॉ.) नितिन एम. नागरकर ने कहा कि हृदय रोगियों को प्रदान किए जाने वाले उपचार में एएचए के सर्टिफाइड कोर्स दुनियाभर में अपनाए जा रहे हैं. उन्होंने इस कोर्स को नियमित व्यवधान में करने के लिए प्रशिक्षण टीम के आग्रह पर अनुमति देने की बात कही. कोर्स प्रशिक्षण के रूप में मेडिसिन के प्रो. विनय पंडित, निशेतना के डॉ. सरिता रामचंदानी, डॉ. प्रदीप शर्मा, डॉ. स्मिता मोइत्रा और रिमी (कोलकता) ने प्रतिभागियों को प्रशिक्षण प्रदान किया.

कोलकाता से आशीष कुमार कुंदू ने भी उद्घाटन समारोह में भाग लिया. डीन (अकादमिक) प्रो. आलोक चंद्र अग्रवाल ने चिकित्सकों और नर्सिंग स्टाफ के लिए बीएलएस की ट्रेनिंग को महत्वपूर्ण बताया. मेडिसिन विभागध्यक प्रो. विनय पंडित ने बताया कि प्रतिभागियों को हृदयाघात की स्थिति में अस्पताल के अंदर और बाहर रोगियों को दिए जाने वाले प्राथमिक उपचार की ट्रेनिंग दी गई. इसके अलावा डूबने से प्रभावित रोगियों और खाने की नली के चोक होने की स्थिति में तुरंत प्रदान किए जाने वाले उपचार के बारे में भी प्रतिभागियों को ट्रेनिंग प्रदान की गई.