अमित पवार, बैतूल। जिले के शाहपुर विकासखंड की पावर झंडा पंचायत के जामुन ढाणा गांव के लोग आज भी आदिम युग में जी रहे हैं। जहां पूरा देश आजादी की 75वीं वर्षगांठ मानने की तैयारी कर रहा है उसी देश के एक छोटे से गांव में मूलभूत सुविधाओं से ग्रामीण वंचित है। हर साल अपनों की जिंदगी बचाने के लिए खुद की जिंदगी को दांव पर लगाकर सफर करते है। इनकी मजबूरी ऐसी कि दर्जनों बार गुहार लगाने के बाद भी वोट मांगकर सरकार बनाने वाले राजनेताओं ने इनकी पीड़ा समझी और ना ही विकास की गंगा बहाने वाली सरकार के अधिकारियों ने इनकी सुध ली। नदी पर पुल नहीं बनने की वजह से हालात ये है कि बारिश के मौसम में जब भी गांव में कोई बीमार पड़ता हैं तो लोग उसे खाट पर लिटाकर अपनी जान जोखिम में डालकर उफनती नदी को पार कर डॉक्टर के पास ले जाते है।

गर्भवती महिला को खाट पर लिटाकर नदी पार कराते ग्रामीण

दरअसल जामुन ढाणा गांव के रूपेश टेकाम की गर्भवती पत्नी मयंती को अचानक प्रसव पीड़ा शुरू हो गई। प्रसव पीड़ा से निजात दिलाने के लिए रूपेश ने गांव के लोगों से मदद मांगी। ग्रामीणों ने रूपेश की गर्भवती पत्नी को खाट पर लिटाकर उफनती नदी पार की और उसे शाहपुर लेकर पहुंचे, लेकिन यहां पर भी माचना नदी उफान पर होने के कारण उन्हें वापस लौटकर महिला को भौरा के शासकीय अस्पताल ले जाना पड़ा। अस्पताल पहुंचाने के बाद ग्रामीणों ने राहत की सांस ली।

इस मामले की जानकारी के बाद जयस संगठन के प्रदेश अध्यक्ष मुकेश धुर्वे का कहना है कि आजादी के 75 वर्ष पूरे हो गए। पूरा देश आजादी का 75 वां अमृत महोत्सव मना रहा है लेकिन इस गांव में नदी पर पुल नहीं बना है। बच्चों को भी स्कूल के लिए इसी नदी को पार करना पड़ता है। उन्होंने चेतावनी दी है कि तीन दिनों के भीतर नदी पर अस्थायी पुल बनाने कोई कदम नहीं उठाया गया तो आंदोलन के लिए मजबूर होना पड़ेगा, जिसकी जिम्मेदारी शासन-प्रशासन की होगी।

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