ग्राम सभा को होगा मद्य निषेध का अधिकार, ग्राम सभा की शांति व न्याय समिति को न्यायालयीन अधिकार, ग्राम सभा को गौण खनिज के प्रबंधन की शक्ति, किसी भी व्यक्ति की गिरफ्तारी पर पुलिस को ग्राम सभा अध्यक्ष को देनी होगी सूचना

रायपुर। वर्षों से पेसा नियम बनने का इंतजार कर रहे प्रदेश के आदिवासियों की इच्छा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आदिवासी दिवस के एक दिन पूर्व अधिसूचना जारी कर पूरी कर दी है. पेसा नियम बना कर आदिवासी दिवस के दिन से लागू करने पर अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव राजेश तिवारी ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को धन्यवाद ज्ञापित किया है.

पेसा नियम बन जाने से अब आदिवासियों के जल, जंगल, जमीन के अधिकार को कोई भी नही छीन पाएगा. गांव के विकास में ग्रामसभा की महत्वपूर्ण भूमिका होगी, जिससे गांव का नियोजित विकास होगा, अब फैसले गांव में थोपे नहीं जाएंगे. अनुसूचित जनजाति के लोग अपनी रीति रिवाज व परंपराओं के अनुरूप फैसले ले सकेंगे. गांव के विवाद गांव में ही सुलझाये जाएंगे. 15 वर्षों तक सरकार में रह कर पेसा नियम नहीं बनाने वाले भाजपा के नेता अब इस कानून का विरोध कर रहे है, जिससे एकबार फिर भाजपा का आदिवासी विरोधी चेहरा उजागर हो गया है.

छत्तीसगढ़ में पेसा नियम बनने से प्रदेश के अनुसूचित क्षेत्र की ग्राम सभा शक्तिशाली बन गई है. अनुसूचित क्षेत्र की ग्राम सभा को साहूकारी प्रथा पर प्रतिबंध लगाने का अधिकार, लघु वनोपज संग्रहण का अधिकार, सामुदायिक वन संसाधन के अधिकार, गौण खनिज का अधिकार, आदिम संस्कृति व रीति रिवाज व परंपरा के संरक्षण, जैव विविधता के संरक्षण, जल, जंगल व जमीन के प्रबंधन का अधिकार. इस अधिकार के मिलने से बिना ग्राम सभा की अनुमति से भूमि का अधिग्रहण नही किया जा सकेगा. सबसे बढ़ कर ग्राम सभा को मद्य निषेध का अधिकार प्रदान करना है. ग्राम सभा निर्णय करके अपने गांव में मद्य निषेध कर सकेगी, इस अधिकार को प्रदान करने से शराबबंदी की दिशा में सरकार का एक महत्वपूर्ण कदम है.

प्रदेश सरकार ने एक और महत्वपूर्ण अधिकार ग्राम सभा को प्रदान किया है वह है शांति व न्याय समिति का गठन कर न्यायालयीन शक्ति का अधिकार है. न्याय करने का अधिकार ग्राम सभा को सौपने से पुरातन गांव की पंच परमेश्वर की अवधारणा पूर्ण होती है. अब गरीब ग्रामीणों को छोटेमोटे विवाद के मामलों में पलिस व न्यायालयों के चक्कर लगाने पड़ते थे और हजारों रूपए खर्च हो जाते थे. ग्रामसभा की शांति व न्याय समिति को दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 160, 264, 265, 266, 267, 277, 283, 288, 289, 290. 294, 298, 323, 334, 341, 374, 379, 403, 411,417, 426, 427, 500, 504, 506 एवं 510 कुल 26 धाराओं पर फैसला करने का अधिकार होगा. न्याय समिति विभिन्न धाराओं में न्यूनतम 10 रुपए व अधिकतम 1000 तक जुर्माना लगा सकती है, किन्तु कारावास की सजा का अधिकार समिति को नही होगा.

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