मंदसौर. भले ही सरकार बेटी बचाओ के नारे लगाती फिर रही हो लेकिन बेटियों को लेकर समाज की सोच किस कदर भयावह औऱ खौफनाक है इसका अंदाजा आप इस खबर को पढ़ने का बाद लगा सकते हैं.

मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले से लगभग 30 किलोमीटर स्थित बिल्लौद गांव में दो परिवारों को बेटे की चाहत इस कदर थी कि उन्होंने मर्जी के खिलाफ बेटी पैदा होने पर उसका नाम ही ‘अनचाही’ रख दिया. ऐसा उन्होंने सिर्फ और सिर्फ एक अदद बेटा न होने के चलते किया. खास बात ये है कि इसी नाम से इन बेटियों का आधार कार्ड, जन्म प्रमाण-पत्र औऱ दूसरे डाक्यूमेंट्स बने हैं. इन बदनसीब बेटियों को इसी नाम से स्कूल में पढ़ना पड़ रहा है.

बिल्लौद गांव के कैलाश नाथ औऱ कांताबाई की चार बेटियां हैं. उनकी ख्वाहिश एक बेटे की लंबे अरसे से थी. बेटे की चाहत में इस दंपति ने हर मंदिर, मस्जिद पर मत्था टेका औऱ कई अनुष्ठान भी करा डाले लेकिन जब उनकी पांचवी संतान भी बेटी ही हुई तो इस दंपति ने बेटी का नाम अनचाही रख दिया. खास बात ये है कि अनचाही इस वक्त बीएससी में पढ़ रही है.

वहीं इसी गांव के रहने वाले किसान फकीरचंद ने भी अपनी तीसरी संतान बेटी पैदा होने पर उसका नाम अनचाही रख दिया. उसका भी जन्म प्रमाण पत्र से लेकर आधार कार्ड व अन्य जरूरी दस्तावेजों में नाम अनचाही दर्ज है.

इन दोनों बेटियों का नाम अब इनके स्कूल और आसपड़ोस में चर्चा का विषय बना हुआ है. इस प्रकरण के सामने आने पर बेटी बचाओ आंदोलन का सच और समाज में बेटियों को लेकर लोगों की सोच का पता चलता है. इससे शर्मनाक एक बेटी के लिए और क्या हो सकता है कि उनको ऐसे नाम के साथ पूरी जिंदगी जीना पड़ेगा जिसे कोई भी सभ्य इंसान स्वीकार नहीं करना चाहेगा.