दिल्ली. जीएसटी काउंसिल ने 11 मार्च को हुई अपनी 26वीं मीटिंग में फैसला लिया था कि 1 अप्रैल 2018 से 50,000 से ज्यादा कीमत के गुड्स को एक राज्य से दूसरे राज्य ले जाने पर ई-वे बिल्स का होना अनिवार्य होगा. व्यापारियों के एक बड़े तबके में इसको लेकर काफी भ्रम है. लल्लूराम डॉट कॉम व्यापारियों की इन्हीं भ्रांतियों को दूर करने के लिए ई-वे बिल्स पर सारे सवालों के जवाब लाया है.

क्या है ई-वे बिल

दरअसल, ई-वे बिल का फुल फार्म है, इलेक्ट्रानिक वे बिल, जिसकी जरुरत गुड्स यानि कि सामान के मूवमेंट यानि कि एक जगह से दूसरी जगह ले जाने पर होगी. यानि एक राज्य से दूसरे राज्य यदि कोई गुड्स आप ले जा रहे हैं तो सरकार के ई-वे बिल पोर्टल पर आपका ई-वे बिल जेनरेट होगा. सरकार ने फैसला लिया है कि 50,000 की कीमत से ज्यादा का कोई भी सामान (सिंगल इनवाइस, बिल, डिलिवरी चालान) जिसको कि किसी भी वाहन से ले जाया जाएगा उसे बिना ई-वे बिल के एक राज्य से दूसरे राज्य नहीं ले जाया जा सकेगा.

खास बात ये है कि ई-वे बिल सिर्फ एसएमएस औऱ एंड्रायड एप के जरिए जेनरेट या कैंसल किए जा सकेंगे. जब एक ई-वे बिल जेनरेट किया जाएगा तो उस दौरान व्यापारी को ई-वे बिल नंबर (ईबीएन) एलाट किया जाएगा. जिसमें सप्लायर, प्राप्तकर्ता औऱ ट्रांसपोर्टर के डिटेल्स होंगे और तीनों के पास ये होगा. जीएसटी के तहत रजिस्टर्ड कोई भी व्यापारी 50 हजार की लागत से अधिक माल को सप्लाई करता है तो वह जीएसटीएन पोर्टल पर जाकर अपना इलेक्ट्रानिक बिल जेनरेट करेगा. इसके बाद पोर्टल सप्लायर को एक ई-वे बिल नंबर जेनरेट किया जाएगा. जिसे सप्लायर, माल प्राप्त करने वाले औऱ ट्रांसपोर्टर से भी शेयर करेगा. जीएसटी के तहत कंसाइनमेंट के लिए 100 किलोमीटर तक माल भेजने के लिए ई-वे बिल की वैधता एक दिन, 300 किलोमीटर दूरी के लिए तीन दिन, 500 किलोमीटर की दूरी के लिए पांच दिन, 1000 किलोमीटर की दूरी के लिए दस दिन और 1000 किलोमीटर से अधिक की दूरी के लिए वैधता 15 दिन रहेगा. यानि कि इन दिनों के अंदर माल हर हालत में गंतव्य तक पहुंचना होगा. ई-वे बिल में रजिस्ट्रेशन के लिए इस लिंक पर क्लिक करके सारी जानकारी हासिल कर सकते हैं. https://services.gst.gov.in/services/ewaybill/ewaybillsystem

व्यापारी क्यों हैं इसको लेकर परेशान

दरअसल ई-वे बिल में एक नियम है जिसके तहत ट्रांसपोर्टर को 24 घंटे में 100 किलोमीटर की दूरी तय करनी होगी, यदि वह गुड्स या माल लेकर जा रहा है. व्यापारियों का कहना है कि अगर ट्रक खराब हो गया या फिर कहीं जाम में फंस गए और वे 24 घंटे में 100 किलोमीटर की दूरी तय नहीं कर पाए तो क्या करेंगे. क्योंकि कहीं भी फंस जाएं लेकिन उनका अगर ट्रक खराब हो गया है और दूसरे ट्रक में माल ट्रांसफर करना है तो ई-वे बिल को भी अपडेट करना होगा. ये उनके लिए झंझट से कम नहीं है.

क्या होगी व्यापारियों को सहूलियत

इस सिस्टम के तहत अब करदाताओं और ट्रांसपोर्टरों को किसी भी टैक्स कार्यालय या चेक पोस्ट पर रुकने की जरुरत नहीं है क्योंकि ई-वे बिल इलेक्ट्रानिक रुप से तैयार किया जाता है और इसमें अपने आप निर्धारित टैक्स कट जाता है. अभी तक अगर एक व्यापारी एक राज्य से दूसरे राज्य को माल भेजता था तो केंद्र या राज्य सरकार के अफसर उनके ट्रक घंटों रोक लेते थे, परेशान करते थे और उगाही करते थे. अब ऐसा नहीं होगा. अब अगर सरकारी अफसर ने माल लदे वाहन को आधे घंटे से ज्यादा रोका तो उसे जवाब देना होगा. उसे आनलाइन बताना होगा कि संबंधित कंसाइनमेंट को क्यों रोका, उसके बाद उसने क्या दस्तावेज चेक किए और क्या तफ्तीश की, उसका नतीजा क्या निकला. कुल मिलाकर इस तरीके से कंसाइनमेंट की सारी मूवमेंट जीएसटीएन पोर्टल की निगरानी में रहेगी.

अब नहीं चलेगी अधिकारियों की मनमानी

खास बात ये है कि अगर सप्लायर ने बिना वजह परेशान करने के इरादे से कंसाइनमेंट रोकने की शिकायत कर दी तो संबंधित अथारिटी के सामने पेश होकर अधिकारियों और निरीक्षक को जवाब देना होगा.

सरकार ने क्या कहा है

दरअसल सरकार ने फैसला लिया है कि एक राज्य से दूसरे राज्य को ले जाये जाने वाले गुड्स के लिए चरणबद्ध तरीके से इसे लागू किया जाएगा. इसमें राज्यों को चार श्रेणियों में बांटा गया है. खास बात ये है कि इसमें इलेक्ट्रानिक ट्रैकिंग सिस्टम के जरिए टैक्स चोरों पर लगाम लगाई जा सकेगी.

कितने लोगों ने कराया है ई-वे बिल के लिए रजिस्ट्रेशन

अब तक करीब 10 लाख टैक्सपेयर्स ने ई-वे बिल पोर्टल में रजिस्टर करा लिया है. अभी इसका ट्रायल रन किया जा रहा है जिसमें 6.5 लाख ई-वे बिल्स रोजाना जेनरेट किए जा रहे हैं. खास बात ये है कर्नाटक, उत्तराखंड, राजस्थान और केरल इन चार राज्यों ने अपने राज्य के व्यापारियों के लिए ई-वे बिल जेनरेट करना मैंडेटरी कर दिया है. यानि कि अगर इन राज्यों के व्यापारी अपना माल दूसरे राज्यों को एक्सपोर्ट करते हैं तो उन्हें ई-वे बिल जेनरेट करना ही होगा.

ई-वे बिल के बाद ई-वालेट ला रही है सरकार

जीएसटी काउंसिल ने फैसला किया है कि ई-वे बिल योजना लागू करने के बाद व्यापारियों को टैक्स का रिफंड करने के लिए ई-वालेट योजना शुरु करेगी. इस योजना में व्यापारियों के शिपमेंट्स और इनपुट्स के आधार पर यदि उनसे ज्यादा टैक्स ले लिया गया है तो ई-वालेट में वो रकम रिफंड कर दी जाएगी.