रेणु अग्रवाल,धार। एक तरफ जहां शासन की योजनाओं के तहत सरकारी स्कूल चमकने लगे हैं. वहीं दूसरी तरफ मध्यप्रदेश के धार जिले के एक सरकारी स्कूल के बच्चे स्कूल भवन जर्जर होने के कारण पेड़ के नीचे पढ़ने को मजबूर हैं. आज उनकी पढ़ाई किसी तपस्या से कम नहीं है. बारिश के मौसम में सरकारी स्कूल के बच्चे पेड़ के नीचे बैठकर पढ़ रहे हैं. सरकार के जिम्मेदार अधिकारी अभी तक उनके लिए कुछ व्यवस्था भी नहीं कर पाए.
दरअसल यह तस्वीर आदिवासी बाहुल्य धार जिले के नालछा विकासखंड के ग्राम दुगनी खालसा की है, जहां पर प्राथमिक स्कूल के छात्र-छात्राएं सड़क किनारे पेड़ के नीचे बैठकर अध्ययन कर रहे है. देश आजादी के अमृत महोत्सव से शताब्दी महोत्सव की तरफ बढ़ रहा है, लेकिन आदिवासी क्षेत्रों में व्यवस्थाएं दम तोड़ती नजर आती है. खुले आसमान के नीचे विद्यार्थियों के भविष्य को गढ़ा जा रहा है.
आदिवासी बाहुल्य दुकनी खालसा गांव के स्कूल में 32 स्टूडेंट हैं. स्कूल की शिक्षिका के साथ ग्रामीण अपने गांव के बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतित हैं. कई बार पत्र लिखे गए, पंचनामा बनाए गए, लेकिन स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है. यहां दशकों पुराना प्राथमिक स्कूल का भवन बेहद जर्जर और खतरनाक स्थिति में पहुंच चुका है. छत से लगातार प्लास्टर गिर रहा है. गड्ढे हो गए हैं. दीवारें कमजोर हो गई है. स्कूल का भवन जर्जर हालत में है.
स्कूल की शिक्षिका बच्चों को तिरपाल में बैठकर पढ़ाने को मजबूर है. शासन की गाइडलाइन के अनुसार मध्यान भोजन रसोई घर में ही बनना चाहिए, लेकिन यहां पर रसोई घर की व्यवस्था भी खराब है. मध्यान भोजन जवाबदार घर से बनाकर लाते हैं. उसके बाद बच्चों को मध्यान्ह भोजन परोसा जाता है.
स्कूल की शिक्षिका ने बताया कि पिछले एक महीने से यही पेड़ के नीचे क्लास चल रहा है. भवन जर्जर होने से अध्यापन कार्य बाहर करवाया जाता है. बारिश शुरू होते छुट्टी कर दी जाती है. क्योंकि बरसते पानी में खुले आसमान के नीचे बच्चों को पढ़ाना संभव नहीं है. अब देखना यह होगा कि शिक्षा विभाग के जिम्मेदार अधिकारी कब तक स्कूल की मरम्मत करवाते या फिर कुछ वैकल्पिक व्यवस्था बच्चों के पढ़िए के लिए करते हैं.
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