कुमार इंदर, जबलपुर। मध्यप्रदेश के जबलपुर में एक निजी अस्पताल में 1 अगस्त को हुए अग्निकांड मामले में आज एक बार फिर से मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। हाईकोर्ट ने सरकार पर टिप्पणी करते कहा कि यदि आपका यही रवैया रहा तो हमें सीबीआई से जांच करानी होगी। दरअसल, जबलपुर के एक निजी अस्पताल अग्निकांड मामले में प्रशासन को जिन तीन दोषी डॉक्टरों को सस्पेंड करना था, प्रशासन ने उन्हीं तीन डाक्टरों को जांच कमेटी में शामिल कर लिया था। इसी बात को लेकर हाईकोर्ट में आज सुनवाई की गई। सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से बताया गया कि 3 दोषी डॉक्टरों में से दो को सस्पेंड कर दिया गया है, जबकि 1 डॉक्टर को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है।
अपने जवाब में फिर फंसी सरकार
आज एक बार फिर से सरकार, हाईकोर्ट में अपने ही जवाब में फंस गई। दरअसल सरकार की तरफ से पेश की गई नोटशीट में निजी अस्पतालों के बिल्डिंग कंपलीशन शब्द को बिल्डिंग परमिशन शब्द कर दिया गया था। इसी बात को लेकर हाईकोर्ट ने सरकार को कड़ी फटकार लगाई और कहा कि आप बार-बार शब्दों से खेल रहे हैं जो सही नहीं है। हाई कोर्ट ने कहा कि इस तरह से बार-बार आपके जवाब का बदलना हमें इस बात पर मजबूर कर रहा है कि इस मामले की जांच हम सीबीआई से करवाएं।
24 अगस्त को होगी मामले की सुनवाई
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि सरकार और जिला प्रशासन इस मामले में क्या करना चाहता है और अब तक क्या कार्रवाई की गई है, इसका जवाब दो दिन के अंदर एफिडेविट में दें। अब मामले की अगली सुनवाई 24 अगस्त को होनी है।
दोषियों को ही बना दिया था ‘दारोगा’
1 अगस्त को जबलपुर के न्यू लाइफ मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल में हुए अग्निकांड मामले में स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन ने उन्हीं तीन दोषी डॉक्टरों को जांच टीम में शामिल कर दिया था, जिन डॉक्टरों ने न्यू लाइफ मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल को क्लीन चिट दी थी। इस बात की पिछली सुनवाई में प्रशासन की ओर से पेश की गई रिपोर्ट में उस वक्त पोल खुल गई, जब अग्निकांड हादसे के दोषी डॉक्टरों पर कार्रवाई करने के बजाए उल्टे उन्हें ही निजी अस्पतालों की जांच की जिम्मेदारी सौंप दी गई। पिछली बार भी इस पर हाईकोर्ट ने सरकार को फटकार लगाई थी।
नियम विरुद्ध चल रहे निजी अस्पतालों खिलाफ लगी है याचिका
बता दें कि मध्य प्रदेश ला स्टूडेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष विशाल बघेल ने पिछले 3 साल में जबलपुर जिले में खुले करीब करीब 60 अस्पतालों को लेकर जनवरी 2022 में हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। याचिका के माध्यम से कहा गया था कि पिछले 3 साल में खासकर कोरोना काल के दौरान जबलपुर में करीब 60 निजी अस्पताल ऐसे खुल गए हैं, जो खुलेआम नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं। याचिका में कहा गया है कि कई अस्पतालों में ना तो फायर एनओसी है, ना ही अस्पतालों में नेशनल बिल्डिंग कोड का पालन किया जा रहा है फिर भी ऐसे अस्पताल धड़ल्ले से संचालित हो रहे हैं।
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