भोपाल. नक्सली हमले में घायल होने के बाद चार साल तक समुचित इलाज के अभाव में आंत का एक हिस्सा पेट के बाहर लेकर भटकने को विवश रहे केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के जवान मनोज तोमर को आखिरकार असहनीय पीड़ा से राहत मिल गई. छत्तीसगढ़ के लोकप्रिय न्यूज पोर्टल लल्लूराम डॉट कॉम ने इस बहादुर जवान को न्याय दिलाने की मुहिम चलाई थी. जिसमें हम सफल रहे. ये हमारी खबर का असर था कि लल्लूराम डॉट कॉम पर खबर प्रकाशित होने के तुरंत बाद छत्तीसगढ़ काडर के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी सोनमणि बोरा ने इस जवान की व्यथा से मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान समेत सीआरपीएफ औऱ गृह मंत्रालय के आला अधिकारियों को सूचित किया. जिसके बाद सीएम शिवराज सिंह ने जवान को दस लाख की मदद देने के साथ उसके इलाज का वादा किया था.
आज हमारी मुहिम रंग लाई औऱ एम्स ट्रॉमा सेंटर में चिकित्सकों ने सर्जरी कर उनकी बाहर निकली आंत को वापस शरीर में यथास्थान पर लगा दिया. एम्स ट्रॉमा सेंटर के अनुसार उनके स्वास्थ्य में सुधार हो रहा है. एम्स के चिकित्सकों ने मनोज की सर्जरी को आसान प्रक्रिया बताया है. डॉक्टरों का कहना है कि उनकी सर्जरी जटिल नहीं थी फिर भी हैरानी की बात है कि वह पिछले चार साल से आंत का यह हिस्सा पॉलीथिन में लेकर घूमने को मजबूर थे. हालांकि अब इसकी जरूरत नहीं पड़ेगी. डॉक्टरों को उम्मीद है कि वह सामान्य जीवन व्यतीत कर सकेंगे.
लल्लूराम डॉट कॉम ने जवान की खबर प्रकाशित की थी. इसके बाद मप्र सरकार ने 10 लाख की सहायता राशि की घोषणा की और सीआरपीएफ ने समुचित इलाज की प्रतिबद्धता जताई. सीआरपीएफ अधिकारियों की देखरेख में उन्हें इलाज के लिए मप्र से एसी एंबुलेंस में दिल्ली के एम्स ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया गया था. मप्र सरकार के अधिकारी व डॉक्टर भी साथ पहुंचे थे. गुरुवार को मनोज की सर्जरी की जानी थी लेकिन कुछ कारण से सर्जरी टाल दी गई थी. इसके बाद शुक्रवार को करीब ढाई घंटे उनकी सर्जरी चली.
ताजा जानकारी तक जवान मनोज तोमर दिल्ली के एम्स में भर्ती हैं. उनके साथ उनका परिवार भी है. नक्सली हमले में घायल होने के बाद चार साल तक समुचित इलाज के अभाव में आंत का एक हिस्सा पेट के बाहर लेकर भटकने को विवश रहे केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के जवान मनोज तोमर को आखिरकार असहनीय पीड़ा से राहत मिल गई.
नीचे हमारी वो खबरें जिन्होंने शासन औऱ प्रशासन को मजबूर किया कि वो जवान को पीड़ा से मुक्ति दिलाएं. इन लिंक पर क्लिक करके आप हमारी खबरें पढ़ सकते हैं. जिनके बाद जवान को आखिरकार पीड़ा से राहत मिल सकी.