सत्यपाल सिंह राजपूत, रायपुर। राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य पर “स्वतंत्रता आंदोलन मे जनजाति नायकों का योगदान” विषय पर संगोष्ठी करा रही हैं. 15 अगस्त से 15 सिंतबर तक देश के सभी 125 विश्वविद्यालयों में होने वाले आयोजन की कड़ी में सितंबर के दूसरे सप्ताह में बिलासपुर स्थित अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय में संगोष्ठी होगी.
राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के इस अभिनव पहल में सीधे जनजाति विद्यार्थियों, शोधार्थी एवं शिक्षकों से सीधा संवाद किया जा रहा हैं, जिसमें स्वतंत्रता संग्राम में जनजाति नायकों की योगदान को बतलाने के लिए सीधे विश्वविद्यालय पहुंच रही हैं. इनमें उन जनजाति नायकों के संघर्ष एवं बलिदान का भी विशेष ध्यान दिया गया हैं, जिन्हें इतिहास में उचित स्थान नहीं मिल पाया है. इस संगोष्ठी के विषय के लिए वक्ताओं को प्रशिक्षण दिया गया हैं, जिससे जनजाति नायकों की वीरगाथाओं को सुनने के बाद स्वाभाविक रूप से श्रोताओं को गर्व की अनुभूति हो. साथ ही जनजाति विषयों और नायकों पर विश्वविद्यालयों में जनजातियों की अस्मिता, अस्तित्व और विकास को ध्यान में रख कर शोध कार्यों करने के लिए प्रेरित करने का प्रयास किया जाएगा.
वहीं संगोष्ठी को आकर्षक बनाने के लिए आयोग ने जनजाति नायकों की वीरता पर आधारित 10 मिनट का वीडियो प्रोजेक्टर पर दिखलाई जाएगी. साथ ही 85 जनजाति नायकों की जीवन पर आधारित प्रदर्शनी लगाई जाएगी. इस आयोजन के आवश्यक तैयारी के लिए अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर डॉ. एडीएन वाजपेयी स्वयं मॉनिटरिंग कर रहे हैं. इस आयोजन के लिए विश्वविद्यालय की ओर से डॉ.स्वाति रोज टोप्पो, अलेक्जेंडर कुजूर, गौरव साहू को संयोजक की दायित्व दिया हैं.
यह कार्यक्रम सिर्फ विश्वविद्यालय के यूटीडी तक सीमित ना होकर पूरे बिलासपुर संभाग के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय से संबंधित बिलासपुर संभाग क्षेत्र में 107 महाविद्यालय हैं, जिसमें पर्याप्त संख्या में जनजाति विद्यार्थी हैं. विश्वविद्यालय के क्षेत्र में आने वाले कोरबा, गौरेला – पेण्ड्रा-मरवाही जनजाति बहुल जिला हैं, वहीं मुंगेली जिले के लोरमी एवं बिलासपुर जिले के कोटा विकासखंड में बहुतायत संख्या में जनजाति निवास करती हैं, जहाँ के महाविद्यालयों में विद्यार्थी अध्ययन करते हैं. इस आयोजन में विश्वविद्यालय से संबंधित प्रत्येक जनजाति सहायक प्राध्यापक एवं विद्यार्थियों को ससम्मान आमंत्रित करने का लक्ष्य रखा गया है.
राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने अपनी ओर से राष्ट्रीय युवा पुरस्कार विजेता नितेश साहू को कार्यक्रम का संयोजक नियुक्त किया है, जो आयोजन को सफल बनाने के लिए प्रत्येक जनजाति प्राध्यापक एवं युवा तक पहुंचकर कार्यक्रम के उद्देश्य को बता रहे हैं. नितेश साहू ने बताया कि स्वंतत्रता संग्राम में जनजाति समाज का अविस्मरणीय योगदान रहा है. इस आयोजन में जनजाति नायकों की वीरगाथाओं को सुनने, उनके बलिदान को जानने और स्वयं को राष्ट्र की रक्षा, उन्नति और विकास में योगदान के लिए संकल्प लेने का अवसर है, इसलिए ज्यादा से ज्यादा जनजाति युवाओं के पास पहुंचने का प्रयास कर रहे हैं.
इस आयोजन को देशभर के विश्वविद्यालयों में आयोजित करवाने में अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम के युवा कार्य प्रमुख वैभव सुंरगे का महत्वपूर्ण योगदान हैं. साथ ही मध्यप्रदेश- छत्तीसगढ़ में क्षेत्रीय स्तर पर आयोग एवं विश्वविद्यालय के साथ समन्वय बनाने मे ब्रजेन्द्र शुक्ला कार्य कर रहे हैं. वनवासी विकास समिति छत्तीसगढ़, युवा कार्य प्रमुख जितेन्द्र धुर्वे निरंतर विश्वविद्यालय में जाकर विद्यार्थियों से संवाद कर रहे हैं, और उन्हें आमंत्रित कर रहे हैं.
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