Latest News Today. झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की कुर्सी पर संकट के बादल गहरा गए हैं. यह स्थिति उनकी विधानसभा सदस्यता पर उठ रहे संशय को लेकर है. इस इस पर अंतिम फैसला छत्तीसगढ़ के 7 बार लोकसभा के सांसद और केंद्ररी मंत्री रह चुके रमेश बैस यानी झारखंड के राज्यपाल को लेना है. जानकारी के अनुसार भारत निर्वाचन आयोग ने सीएम को जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 9 (ए) के तहत दोषी मानते हुए उन्हें विधायक के पद से अयोग्य किए जाने का मंतव्य राज्यपाल रमेश बैस को सौंप दिया है.
इसे आयोग के विशेष दूत ने गुरुवार सुबह राजभवन को सौंपा. निजी कारणों से दिल्ली में होने के कारण राज्यपाल दोपहर दो बजे रांची पहुंचे. सूत्रों के अनुसार राज्यपाल आयोग के मंतव्य के वैधानिक पहलुओं का अध्ययन करा रहे हैं. संभावना जतायी जा रही है कि मंतव्य के अनुसार गवर्नर अपना फैसला शुक्रवार को दे सकते हैं. संवैधानिक प्रावधान के अनुसार गवर्नर के लिए चुनाव आयोग का मंतव्य मानना बाध्यकारी है.
भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने उठाया था मामला
खनन लीज से संकट भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने इसी साल 10 फरवरी को सोरेन पर मुख्यमंत्री रहते अपने नाम अनगड़ा में पत्थर खदान लीज पर लेने का मामला उठाया था. अगले दिन भाजपा नेताओं ने राज्यपाल से मिल हेमंत को जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 9 (ए) के तहत विधायक पद से अयोग्य ठहराने और उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू करने की मांग उठाई. इसके बाद राज्यपाल ने आयोग से परामर्श मांगा. आयोग ने परामर्श देने से पहले सीएम और भाजपा को पक्ष रखने का नोटिस दिया. मामले में आयोग ने 28 जून को सुनवाई शुरू की. 12 अगस्त तक मुख्य रूप से चार तारीखों में इसपर बहस पूरी हुई.
राजभवन से पहले भाजपा कैसे बोल रही
राज्य में बढ़ी सियासी सरगर्मी के बीच झामुमो के वरिष्ठ नेता सुप्रियो भट्टाचार्य ने मीडिया से बातचीत में कहा है कि हेमंत सरकार अपना कार्यकाल पूरा करेगी. पार्टी पूरी मजबूती के साथ हेमंत सोरेन के साथ खड़ी है. हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री हैं और बने रहेंगे. हेमंत सोरेन का विकल्प सिर्फ हेमंत सोरेन हैं. सुप्रियो ने यह सवाल भी उठाया कि राजभवन ने अभी तक कुछ नहीं किया तो फिर भाजपा कैसे बोल रही है ?
जाने झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस के बारे में कुछ खास बातें
- रमेश बैस का जन्म 2 अगस्त 1947 हुआ था. 1978 में उन्हें पहली बार रायपुर नगर निगम का पार्षद चुना गया था.
- वो 1980 से 1984 तक अविभाजित मध्यप्रदेश के विधानसभा सदस्य भी रह चुके हैं.
- वो 1982 से 1988 तक मध्यप्रदेश के प्रदेश मंत्री के पद भी कार्यरत रह चुके हैं.
- 1989 में रमेश बैस ने पहली बार लोकसभा चुनाव में नजर आए थे, यहां उन्होंने जीत हासिल कर सांसद में अपनी जगह बनाई थी.
- छत्तीसगढ़-मध्यप्रदेश के विभाजन के बाद उन्होंने रायपुर लोकसभा में जीत हासिल की थी और सासंद बने थे.
- उन्होंने देश के केंद्रीय मंत्र के रूप में भी कई विभागों को संभाला है, जो निम्न है:
- मार्च 1998-अक्टूबर 1999 केंद्रीय राज्य मंत्री, इस्पात और खान
- अक्टूबर 1999-सितंबर 2000 केंद्रीय राज्य मंत्री, रसायन उर्वरक
- सितंबर 2000-जनवरी 2003 केंद्रीय राज्य मंत्री, सूचना और प्रसारण
- जनवरी 2003-जनवरी 2004 केंद्रीय राज्य मंत्री, खान मंत्रालय
- जनवरी 2004-मई 2004 केंद्रीय राज्य मंत्री, पर्यावरण और वन मंत्रालय
- वे 7 बार लोकसभा के सांसद रह चुके है
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