प्रतीक चौहान. रायपुर. एक रिटायरमेंट पार्टी में रायपुर रेल मंडल के सीनियर डीसीएम को कमर्शियल विभाग में चल रहे ट्रांसफर पोस्टिंग के नाम पर पूरे खेल की जानकारी दी गई है. कमर्शियल विभाग में ही पदस्थ एक चीफ कमर्शियल इंस्पेक्टर पर गंभीर आरोप लगाए है. इतना ही नहीं रेलवे के सूत्र बताते है के सीनियर डीसीएम को उक्त अधिकारी और उनके विभाग में पदस्थ तमाम दलालों की जानकारी भी दी गई.
सूत्रों की माने तो रायपुर पार्सल ऑफिस में पोस्टिंग के लिए 50 हजार रुपए और हर हफ्ते दारू के अलावा बड़े साहब के तमाम काम कराए जाते है. विभाग में चर्चा है कि रायपुर पार्सल ऑफिस में पोस्टिंग के लिए 25 हजार रुपए एडवांस भी ले लिए गए.
इतना ही नहीं पैसा खर्च न करने वालों का तत्काल यहां से बिना किसी भी शिकायत के ट्रांसफर कर दिया जाता है. यही कारण है कि रायपुर पार्सल ऑफिस में 1 महीने के अंदर दो सीपीएस बिना किसी शिकायत के बदल दिए गए.
सारे नियम कायदें को ठेंगा दिखाते हुए CCC को दी गई पार्सल ऑफिस की जिम्मेदारी, लेकिन ये भी है मोहरा
अब बात करते है रेलवे के नियमों की. नियम कहते है कि चीफ पार्सल सुपरवाइजर (CPS) की जिम्मेदारी विभाग के प्रमुख को दी जानी है. यदि विभाग के प्रमुख जिम्मेदारी न ले तो वे लिख के ये देंगे जिसके बाद अन्य किसी को ये जिम्मेदारी सौंपी जाती है. लेकिन रायपुर पार्सल ऑफिस की जिम्मेदारी चीफ कमर्शियल सुपरवाइजर (CCC) को दी गई है. लेकिन सूत्र बताते है कि ये भी अपने आदमी को रायपुर में लाने का एक मोहरा है. जिन्हें वर्तमान में 1 महीने के अंदर दो लोगों को इस पोस्ट से हटाकर जिम्मेदारी दी गई है उन्होंने पार्सल ऑफिस में कभी काम भी नहीं किया. ये बात विभाग के अधिकारी बखूबी जानते है. यही कारण है कि जैसे ही कोई गलती इन्होंने की वैसे ही दुर्ग के अपने आदमी को यहां लाने या दुर्ग पार्सल ऑफिस की जिम्मेदारी सौंपने की तैयारी है.
जबकि रेलवे के नियमों के मुताबिक CS इस पोस्ट के लिए एलिजिबल होते है. जो वर्तमान में रायपुर रेल मंडल में कई लोग मौजूद है.
इसी अधिकारी के लिए कोई नियम क्यों नहीं ?
कमर्शियल विभाग के जिस CCI पर सेटिंग का आरोप एक रिटायरमेंट पार्टी में लगाया गया है, उस अधिकारी की खास बात ये है कि वो अपने चापलूसी टैलेंट से हमेशा मलाईदार जगहों पर ही रहता है. हैरानी की बात ये है कि अपने आप को कथित रूप से बहुत ईमानदार बताने वाले अधिकारी भी नियमों को दरकिनार कर देते है, जिसमें उक्त एक पद पर 3 साल से अधिक तक ना रखने का नियम है. लेकिन सूत्र बताते है कि वे करीब 5 साल से एक ही पद पर पदस्थ है. लेकिन उनके लिए कोई नियम नहीं है. इतना नहीं कागजों में यदि इन्हें यहां से हटाकर पुनः कुछ दिन बाद यही ला लिया जाता है. जिससे ये लगे कि उक्त अधिकारी का ट्रांसफर हुआ था और इससे टाईम भी कम काउंट होता है.
सूत्र तो यहां तक बताते है कि उक्त सीसीआई जिसपर सेटिंग के आरोप लगे है वे सीधे पैसे न लेकर अपने एजेंट के माध्यम पैसे लेते है और अब तो उन्होंने अपने एक एजेंट को भी प्रमुख जिम्मेदारी दिलवा दी है और दूसरे को दिलवाने की पूरी तैयारी कर ली है.
क्यों नहीं होती शिकायत ?
अब सवाल ये है कि इतने गंभीर आरोप लगे और फिर भी उनकी शिकायत न हो. तब तो ये सभी आरोप झूठे लगते है. लेकिन अब कर्मचारियों ने भी उक्त अधिकारी के खिलाफ मोर्चा खोलने की तैयारी में है. हालांकि कमर्शियल विभाग के सूत्रों का कहना है कि जो खुलकर विरोध करता है उन्हें रेलवे के ही उच्च अधिकारी कही दूर ट्रांसफर कर देते है. यही कारण है कि कर्मचारी खुलकर सामने नहीं आ रहे है. हालांकि रेलवे के कथित बड़े-बड़े यूनियन और यूनियन लिडर भी इस मामले में पूरी तरह चुप्पी साधे हुए है. जबकि चुनाव के वक्त ये लोग ही कर्मचारियों को तमाम प्रकार के आश्वासन देकर वोट मांगते है.
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