अभिषेक सेमर, तखतपुर. प्रदेश के सभी सरपंच अपनी 13 सूत्रीय मांगों को लेकर काम बंद कलम बंद आंदोलन कर रहे हैं. तखतपुर जनपद क्षेत्र के सभी 122 पंचायत के सरपंच भी इस आंदोलन में शामिल है. जनपद कार्यालय के सामने हर दिन धरना देकर अपनी मांगों को शासन तक पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं.
मानदेय में वृद्धि और विकास के लिए निधि सहित 13 सूत्रीय मांगों को लेकर प्रदेश के सरपंच 25 से अगस्त से काम बंद कलम बन्द आंदोलन कर रहे हैं. शनिवार को आंदोलन का तीसरा दिन था. जनपद कार्यालय के सामने पंडाल लगाकर तखतपुर जनपद के सभो 122 पंचायतों के सरपंच शासन के सामने अपनी मांग रख रहे हैं. आंदोलन में आए सरपंचों में जोश लाने के लिए नारो के साथ गीत और कविता प्रस्तुत कर सरपंच अपनी सांस्कृतिक संपन्नता का भी प्रदर्शन कर रहे हैं. कोई गीत गाकर शासन से अपनी मांगे मानने को कह रहा है, तो कोई कविता के माध्यम से सरपंचों की मांगो के लिए आवाज बुलंद कर रहा है.
सांसद विधायक की तरह हम भी जनप्रतिनिधि
सरपंच संघ तखतपुर के पदाधिकारी भी सभी सरपंचों को एकजुटता के साथ आंदोलन में शामिल होने और धरना स्थल पर आकर बैठें रहने के लिए प्रेरित कर रहे हैं. सरपंच संघ के प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष आदित्य उपाध्याय, प्रदेश प्रवक्ता लक्ष्मी कुमार जायसवाल और प्रदेश कोषाध्यक्ष होरी लाल माथुर और तखतपुर सरपंच संघ के कोषाध्यक्ष ईश्वर साहू लगातार आंदोलन को बल देने के लिए पूरी क्षमता से प्रयासरत हैं. अपने वक्तव्यों में सरपंच कहते है कि विधायक और सांसद की तरह हम लोग भी जनप्रतिनिधि हैं. जब उन्हें भारी भरकम मानदेय दिया जा सकता है तो हमे भी 20 हजार तक का मानदेय मिलना चाहिए. इसी तरह विधायक और सांसदों की तरह हमे भी ग्राम के विकास की लिए कम से कम 10 लाख तक की निधि दिया जाना चाहिए. जिससे समय आने पर ग्राम में कोई भी जनहित के आवश्यक कार्य कराने के लिए शासन से फंड आने का इंतजार ना करना पड़े.
11 हजार से ज्यादा सरपंच आंदोलन पर
सरपंच संघ के प्रदेश अध्यक्ष आदित्य उपाध्याय ने बताया कि सरपंच संघ की ओर से शासन के 10 अगस्त को रायपुर में धरना प्रदर्शन करने के साथ ही सामने 13 सूत्रीय मांगो का ज्ञापन सौंपा गया था. हमारी ओर से मांगों पर निर्णय लेने के लिए शासन को 22 अगस्त तक का समय दिया गया था. लेकिन शासन हमारी मांगे नहीं मान कर हमारी मांगों को अनदेखा कर दिया गया. इसलिए पूरे प्रदेश के 11664 सरपंच काम बंद कलम बंद आंदोलन करने के लिए विवश हैं. जब तक शासन हमारी मांगो पर कोई ठोस सकारात्मक निर्णय नहीं लेती है, तब तक आंदोलन वापस नहीं होगा.
यह है सरपंच संघ की मांग
सरपंच संघ की ओर से शासन को सौंपे गए ज्ञापन में प्रमुख रूप से यह मांगे है कि सरपंचों का मानदेय 20 हजार किया जाना चाहिए. वहीं पंचों का मानदेय 5000 की मांग भी शामिल है. प्रति पंचायत सरपंच निधि के रूप में सालाना 10 लाख रुपये देने, सरपंचों को 10 हजार आजीवन पेंशन देने की मांग के साथ कोरोना काल के समय को कार्यकाल में न मानते हुए सरपंचों के कार्यकाल को दो साल तक आगे बढ़ाने की मांग की गई है. मनरेगा के कार्यों में 40 प्रतिशत राशि अग्रिम भुगतान करने की मांग भी शामिल है.
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