पुरषोत्तम पात्र, गरियाबंद। स्वामी आत्मानन्द स्कूल सीएम भूपेश बघेल के ड्रीम प्रोजेक्ट में से एक है. सरकार का दावा भी है कि प्राइवेट अंग्रेजी स्कूलों को मात देकर बेहतर संस्था साबित करेंगे, लेकिन शुरुआती दौर में ही इसमें खामियां दिख रही हैं. पढ़ाने वाले शिक्षक हों या स्कूल का भार संभालने वाले प्राचार्य को हतोत्साहित कर रहा है. यूं कहें कि सीएम बघेल के ड्रीम प्रोजेक्ट को गर्त में धकेला जा रहा है. कई स्कूलों में लाइब्रेरी पुस्तक से नहीं करप्शन से भरी पड़ी है.

संस्था के नए सत्र को शुरू हुए 3 माह पूरे हो चुके हैं, लेकिन यंहा किए जाने वाले आवश्यक खर्च के एवज में प्रशासन ने संस्थाओं को फूटी कौड़ी नहीं दिया है, जबकि संस्था के पास ख़र्च के लिए अग्रिम राशि देने का प्रावधान है. जिले में स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम के 6 और हिंदी के 1 स्कूल संचालित है.

इन सभी स्कूलों में 15 अगस्त में बच्चों को मिष्ठान खिलाने संस्था के स्टाफ को आपस में चंदा एकत्र करना पड़ा था. 20 अगस्त से 30 अगस्त तक चलने वाले हमर तिरंगा के कार्यक्रम के लिए रंगोली खरीदी करना हो या फिर दौड़ लगाने वाले बच्चों को चॉकलेट देना हो, या फिर बच्चों को प्रोत्साहित करने के लिए मेडल और सील्ड में भारी भरकम खर्च का वहन कहीं पूरे स्टाफ मिल कर कर रहें या फिर प्राचार्य कर रहें. नाम न छापने के शर्त पर बताया जा रहा है कि अब तक एक एक स्कूल में 50-50 हजार खर्च किये जा चुके हैं.

मामले में डीईओ करमन खटकर ने कहा कि इस योजना में अग्रिम राशि देने का प्रावधान नहीं है, बल्कि खर्च के बाद बिल प्रस्तुत करने पर ही व्यय राशि दिया जाना है. कलेक्क्तर का निर्देश मिल चुका है, जल्द ही समस्त स्वामी आत्मानंद स्कूलों के खाते में जमा कर दिए जाएंगे.

इन कमियों से जूझ रहा स्वामी आत्मानंद
LALLURAM.COM की टीम ने जिले के सभी आत्मानन्द स्कूलों के प्राचार्य, शिक्षक और अभिभावकों से बातचीत की. बताया गया कि अब तक नए भर्ती लेने वाले बच्चों को गणवेश नहीं दिया गया है. संस्था को प्रॉजेक्टर तक उपलब्ध नहीं कराया जा सका है. आकस्मिक व्यय के लिए मिलने वाले फंड के अभाव में अभिभावक मीटिंग में चाय बिस्किट का खर्च हो या फिर स्कूल के जरूरी स्टेशनरी सामान की खरीदी, बिजली, पानी के लिए मरम्मत पर किए गए खर्च भी उधारी खाता पर निर्भर है.

अनुपयोगी किताबों पर लाइब्रेरी के भारी भरकम बजट खर्च कर दिया गया
आवश्यक खर्च को अनदेखी करने वाले जिम्मेदारों ने लाइब्रेरी के नाम पर लाखों रुपये का खर्च अनुपयोगी किताबों पर कर दिया है. प्रत्येक संस्था में 300 से 400 किताबें दी गई हैं.

लाइब्रेरी की ज्यादातर किताबें स्कूल सिलेबस से सबंधित तो हैं, लेकिन सभी सीबीएससी पैटर्न के हैं, जबकि स्वामी आत्मानन्द स्कूलों में SCRT यानी सीजी बोर्ड के पैटर्न से पढ़ाई हो रही है. कहा जा रहा है कि स्कूल स्थापना के समय किताबों को ऊपर से खपाया गया है. किताबों पर किए गए खर्च भी चौकाने वाले हैं.

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