इमरान खान,खंडवा। मप्र के खंडवा में इंदिरा सागर बांध के लिए अपनी जमीनों का बलिदान देने वाले ही अब उसकी पीड़ा भोग रहे हैं. गांव के डूबान में शामिल नहीं किए गए लोगों की पीड़ा कम नहीं हो रही है. शासन-प्रशासन सबकुछ जानते हुए भी अनदेखी कर रहा है. बारिश में उनका गांव पानी से घिर जाता है. बाहर निकलने का रास्ता ही नहीं बचता है. ऐसा ही बांगरदा पंचायत का अमोदा गांव है. गांव के एकमात्र रास्ते की पुलिया बैक वाटर में डूब चुकी है. स्कूली बच्चों को बैलगाड़ी के सहारे निकालना पड़ रहा है. गहरे पानी के बीच बच्चों को डर बना रहता है कि कहीं कोई हादसा ना हो जाए.
इस सीजन में सामान्य से अधिक बारिश होने से बांध लगभग पूर्ण क्षमता से भरे हैं. बांध से लगे गांव जलमग्न हो चुके हैं. कुछ टापू बन गए हैं. पुनासा जनपद की ग्राम पंचायत बांगरदा के ग्राम अमोदा का भी यही हाल है. गांव टापू में तब्दील हो गया है. गांव से निकलने के एकमात्र रास्ते की पुलिया पर चार फीट से अधिक पानी है.
सबसे ज्यादा परेशानी स्कूली बच्चों को हो रही है. उन्हें बांगरदा स्कूल जाने के लिए बैलगाड़ी पर बैठकर पुलिया पार कराना पड़ रहा है. खेती बाड़ी होने से गांव भी नहीं छोड़ सकते. वैसे डूब प्रभावित गांवों में नाव संचालन का नियम है, लेकिन एनएचडीसी बजट का अभाव बताकर पल्ला झाड़ रहा है. अधिकारी मीडिया से कुछ भी बोलने से कन्नी काट रहे हैं.
बांगरदा पंचायत सरपंच प्रतिनिधि राजू पटेल ने बताया कि हम प्रभावितों के साथ एनएचडीसी कार्यालय खंडवा गए थे, लेकिन अधिकारी मौजूद नहीं थे. जो अधिकारी मिले उनका कहना है कि विभाग के पास बजट नहीं है. इस वजह से नाव की व्यवस्था नहीं कर सकते. अब ग्रामीण की समस्या को लेकर जल्द ही कलेक्टर को ज्ञापन सौंपने वाले हैं.
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