रायपुर- छत्तीसगढ़ के दो विभूतियों को पदम् सम्मान मिला है. आज दिल्ली में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पं. श्यामलाल चतुर्वेदी और गणेश बापट को पद्मश्री से सम्मानित किया. इस साल छत्तीसगढ़ की दो विभूतियों को पद्म सम्मान दिया गया था.
इस मौके पर पंडित श्यामलाल चतुर्वेदी ने राष्ट्रपति से छत्तीसगढ़ी भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग की. उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात की. उन्हें भी इस संबंध मे ज्ञापन सौपा.
गौरतलब है कि श्याम लाल चतुर्वेदी को पत्रकारिता और छत्तीसगढ़ी भाषा के साहित्य के लिए ये पुरस्कार मिला है जबकि बापट को समाज सेवा के लिए पद्मश्री से नवाज़ा गया है.
बापट चांपा से आठ किलोमीटर दूर ग्राम सोठी में भारतीय कुष्ठ निवारक संघ द्वारा संचालित आश्रम में कुष्ठ पीड़ितों की सेवा के लिए अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित कर दिया है. इस कुष्ठ आश्रम की स्थापना सन 1962 में कुष्ठ पीड़ित सदाशिवराव गोविंदराव कात्रे ने की थी. वहां वनवासी कल्याण आश्रम के कार्यकर्ता बापट सन 1972 में पहुंचे और कात्रे जी के साथ मिलकर उन्होंने कुष्ठ पीड़ितों के इलाज और उनके सामाजिक-आर्थिक पुनर्वास के लिए सेवा के अनेक प्रकल्पों की शुरूआत की.
चतुर्वेदी करीब 75 वर्षों से साहित्य साधना के जरिए हिन्दी और छत्तीसगढ़ी साहित्य को समृद्ध बनाने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने पत्रकारिता और शिक्षा के क्षेत्र में भी अपनी मूल्यवान सेवाएं दी हैं. चतुर्वेदी छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के प्रथम अध्यक्ष भी रह चुके हैं. वे मूलरूप से तत्कालीन अविभाजित बिलासपुर जिले के ग्राम कोटमी सोनार (वर्तमान में जिला जांजगीर-चांपा) के निवासी है, लेकिन साहित्यकार और पत्रकार के रूप में बिलासपुर उनकी कर्मभूमि है.
भारत के पूर्व कप्तान और मौजूदा विकेटकीपर बल्लेबाज महेंद्र सिंह धौनी समेत 43 लोगों को आज पद्म पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है. इसमें पंकज आडवाणी (खेल, बिलियर्ड्स, कर्नाटक), महेंद्र सिंह धौनी (क्रिकेट, झारखंड) अलेक्जेंडर काराकीन (पब्लिक अफेयर्स, रूस), लक्ष्मण पाई (पेंटिंग, गोवा) और शारदा सिन्हा (म्यूजिक, बिहार) को पद्म भूषण सम्मान जबकि 38 लोगों को पद्म श्री अवॉर्ड से सम्मानित किया गया. आपको बदा दें कि पद्म भूषण, देश का तीसरा सबसे बड़ा भारतीय नागरिक सम्मान है.