पटना। लंबे समय से विवादों में रहे बिहार के मंत्री कार्कित कुमार ने आखिर इस्तीफा दे दिया है. अब इसके बाद उनका कहना है कि पार्टी की छवि धूमिल ना हो इस वजह से उन्होंने इस्तीफा दिया है.

बुधवार की रात इस्तीफा दे चुके राजद से मंत्री कार्तिक कुमार ने गुरुवार को कहा कि पार्टी और खुद की छवि धूमिल ना हो, इस कारण उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा दिया है. उन्होंने पार्टी या मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से नाराजगी की बात को भी नकार दिया। मंत्री पद से इस्तीफा दिए जाने के बाद पहली बार मीडिया के सामने आए कार्तिक कुमार ने कहा कि मंत्री बनने के बाद भाजपा के लोगों को उनका मंत्री बनना रास नहीं आया और मीडिया ट्रायल करवाया। उन्होंने साफ लहजे में कहा कि मेरी और पार्टी की छवि धूमिल ना हो, इस कारण इस्तीफा दे दिया.

2015 में दर्ज मामले से कोई संबंध नहीं- कार्तिक

कार्तिक ने बाहुबली नेता और मोकामा से पूर्व विधायक अनंत सिंह से राजनीतिक नजदीकियों को भी स्वीकार करते हुए कहा कि मेरा घर मोकामा है और वे उनके क्षेत्र के विधायक रह चुके हैं, इसलिए राजनीतिक नजदीकियां बढ़ी. इसे गलत तरीके से देखा जा रहा है. कार्तिक ने पारिवारिक पृष्ठभूमि की चर्चा करते हुए कहा कि उनके पिता शिक्षक रहे हैं. वे खुद कई सालों तक सरकारी स्कूल में शिक्षक रहे. उनके खिलाफ 2015 से पहले कोई आपराधिक मामला नहीं था. 2015 में जो अपहरण का मामला दर्ज हुआ, उससे भी उनका कोई संबंध नहीं है.

मंगलवार को ही बदला गया था विभाग

कार्तिक ने बताया कि 2015 के मामले में जांच अधिकारी उन्हे निर्दोष बता चुके हैं. उन्होंने कहा कि कोरोना के दौर में फिर अदालत ने उस मामले में संज्ञान लिया, जिसमें उनका नाम आया है. उन्होंने न्यायालय पर पूरा भरोसा जताते हुए कहा कि अदालत से बरी होने के बाद पार्टी जो भी निर्देश देगी उसे स्वीकार करूंगा. बता दें कि कार्तिक कुमार को महागठबंधन की सरकार में पहले कानून मंत्री बनाया गया था. मंगलवार को उनका विभाग बदलकर गन्ना उद्योग विभाग दिया गया था, जिसके बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया.

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