एनके भटेले, भिंड। आगामी 6 सिंतबर को भिंड के प्राचीन दंदरौआ धाम में बुढ़्वा मंगल पर हजारों भक्तगण दंदरौआ सरकार की झलक पाने के लिए पहुंचेंगे। हर बार की तरह इस बार भी बुढ़वा मंगल पर बड़ा मेला लगेगा। जगह जगह भंडारे और लंगर चलेंगे। इस बार यह पर्व प्लास्टिक फ्री होगा।पूरे देशभर से श्रद्धालु अपने आराध्य अंजनिपुत्र श्रीरामभक्त हनुमान जी के दर्शन के लिए पहुचेंगे।
बुढ़वा मंगल पर बड़ा मेला के लिए जिला प्रशासन और पुलिस ने तैयारी और व्यवस्था बनाना शुरू कर दी हैं। इस बार प्रशासन के साथ ही मंदिर ट्रस्ट और प्रबंधन ने भी प्रकृति और अध्यात्म को जोड़ने वाला एक नया कदम उठाया है। मंदिर के श्री श्री 1008 श्री रामदास महाराज ने इस साल बुढ़वा मंगल पर्व से दंदरौआ धाम को प्लास्टिक फ्री बनाने का संकल्प लिया है। महंत रामदास महाराज ने कहा कि, पर्यावरण को बचाना हम सभी की जिम्मेदारी ही नहीं बल्कि कर्तव्य भी है। उन्होंने बताया कि मंदिर के रास्ते में कई भक्तगण भंडारे और लंगर के स्टॉल लगाते हैं जिनमें वन टाइम यूज़्ड प्लास्टिक के ग्लास-प्लेट में प्रसादी या पानी के पॉली पैक पाउच का वितरण करते हैं। बाद में यही प्लास्टिक और पॉलिथीन कचरा चहुंओर बिखरा दिखाई देता है जो गंदगी फैलता है जो पर्यावरण और स्वच्छता के लिहाज से ठीक नहीं है।
बताया जाता है कि यहां भगवान हनुमान की प्रतिमा स्वयं-भू है। मंदिर और भगवान की मान्यता है कि यहां पर भगवान हनुमान का दर्शन और पूजन से दाद-खाज-खुजली फोड़ा फुंसी आदि बीमारी दूर हो जाती है। दंदरौआ धाम में डॉ हनुमान जी का मंदिर कई वर्षों पुराना है। यह मंदिर डॉ हनुमान जी के नाम से भी प्रसिद्ध है। यहां बीमार लोग दूर दूर से आते हैं और स्वस्थ्य होकर लौटते है। डॉ हनुमान जी परिक्रमा मात्र से उन्हें बीमारी से लाभ मिल जाने की मान्यता। यहां कई लोगों के असाध्य रोग बिल्कुल ठीक हुए हैं। यहां प्रत्येक मंगल और शनिवार को लोग दर्शन के लिए पहुंचते हैं। लोग बताते है कि डॉ हनुमान के दर्शन मात्र से कष्टों का हरण हो जाता है।
महंत रामदास महाराज ने मंदिर परिसर को वन टाइम यूज्ड प्लास्टिक फ्री करने श्रद्धालुओं से अपील की है कि वे लंगर या स्टॉल संचालित करते समय किसी भी प्रकार की प्लास्टिक के डिस्पोजल आइटम ना रखे। पेयजल के लिए भी कागज के ग्लास का उपयोग करें। जिससे पर्यावरण और दंदरौआ धाम को स्वच्छ रखने में अपना योगदान दे सके। इस बार मंदिर में प्रसादी गर्भ ग्रह तक ले जाने की भी अनुमति नहीं रहेगी। बताया जाता है कि भगवान को चढ़ा हुआ प्रसाद जमीन में गिरकर पैरों में जाता है, जिससे प्रसाद का अपमान होता है। ऐसे में इस बार एक पात्र मंदिर के बाहर रखा जाएगा। जहां से पुजारी भगवान को प्रसादी का भोग लगाएंगे और श्रद्धालुओं को वितरित करेंगे।
पुलिस प्रशासन ने बुढ़वा मंगल को लेकर रूट चार्ट तैयार किया है। जिसमें तीन पार्किंग पॉइंट बनाए गए हैं। इसके अनुसार ग्वालियर और गोहद से आने वाले श्रद्धालुओं को मंदिर तीन किमी पहले मंगरौल पर अपने वाहन खड़े करना होंगे। वहीं भिंड-मेहगांव की तरफ से आने वाले श्रद्धालुओं को भी मंदिर से तीन किमी पहले चिरौल गांव के पास पार्किंग स्थल पर अपने वाहन खड़े कर पैदल चलकर दर्शन के लिए पहुंचना होगा। वहीं मौ की ओर से आने वाले भक्तों को तो मंदिर से पांच किमी पहले ही घमूरी गांव के पास वाहन खड़े कर पैदल सफर करना पड़ेगा।
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