रायपुर. न्यू राजेंद्र नगर अम्लीडीह स्थित श्री मेडिशाईन हॉस्पिटल को स्वास्थ्य विभाग ने किडनी ट्रांस्प्लांट के लिए रजिस्टर्ड किया है. अस्पताल को ह्यूमन आर्गन एक्ट के तहत ये रजिस्ट्रेशन मिला है. यानी अब श्री मेडिशाईन हॉस्पिटल में मरीजों की किडनी ट्रांस्प्लांट संभव हो गई है. ये रजिस्ट्रेशन 5 वर्षों के लिए अस्पताल को मिला है.
क्या होता है किडनी प्रत्यारोपण (kidney transplant)
किडनी ट्रांसप्लांट में एक स्वस्थ व्यक्ति (kidney donor) से किडनी लेकर वह सर्जरी के माध्यम से मरीज के शरीर में लगाई जाती है. यह किडनी किसी मृत या जीवित व्यक्ति (kidney donor) की हो सकती है. इसके अलावा जो व्यक्ति (kidney donor) देते हैं वे एक स्वस्थ किडनी के साथ भी सुखी जीवन जी सकते हैं.
कब पड़ती है किडनी प्रत्यारोपण की (kidney transplant) जरूरत
किडनी की खराबी के चरणों का अंतिम यानि पांचवे चरण में जब किडनी विफलता की बीमारी के कारण रक्त में विभिन्न विषाक्त पदार्थों और अपशिष्ट उत्पादों का निर्माण हो जाता है, जो मरीज के लिए अस्वस्थता और मृत्यु का कारण बन सकता है. इस चरण में आने के बाद मरीज को किडनी ट्रांसप्लांट यानि किडनी प्रत्यारोपण की जरूरत पड़ती है. किडनी विशेषज्ञ के अनुसार अंतिम चरण के मरीजों के लिए किडनी प्रत्यारोपण डायलिसिस से बेहतर उपाय है. किडनी प्रत्यारोपण मरीज की जीवनशैली को बेहतर बनाता है साथ ही डायलिसिस के दुष्प्रभावों से बचने में मदद करता है. इसके अलावा अगर मरीज किसी कारणवश प्रत्यारोपण नहीं करा सकता तो डायलिसिस ही बेहतर उपाय है.