विनोद दुबे, रायपुर। आप भी शापिंग करने अक्सर मॉल जाते होंगे या फिर फिल्म देखने मल्टीप्लेक्स लेकिन आपको यह नहीं मालूम होगा कि वहां आप से लिए जा रहे पार्किंग शुल्क अवैध हैं. जी हां मॉल और मल्टीप्लेक्स में आप से आपकी गाड़ी पार्क करने के नाम पर जो शुल्क लिया जा रहा है वो पूरी तरीके से अवैध है. उन्हें गाड़ी पार्किंग के बदले शुल्क लेने का अधिकार ही नहीं है. उन्हें आपको यह सुविधा निशुल्क प्रदान करनी है.

दरअसल इन मॉल और मल्टीप्लेक्स को टाउन एंड कंट्री प्लानिंग व निगम से अनुमति इसी शर्त पर मिलती है कि उन्हें पार्किंग मुहैया कराना है जो कि निशुल्क रहेगी. दिल्ली सहित कई राज्यो में पार्किंग के नाम पर की जारी वसूली को वहां के हाईकोर्ट ने अवैध ठहराया है. जिसके बाद मॉल और मल्टीप्लेक्स जैसी जगहों में की जा रही वसूली पर रोक लगा दी गई. वहीं छत्तीसगढ़ में भी दर्जनों माल और मल्टीप्लेक्स हैं जहां इस तरह की अवैध वसूली जोरों से चल रही है. अकेले राजधानी रायपुर में ही इनकी संख्या में दो दर्जन से ज्यादा है. सबसे हैरानी की बात यह है कि बाकि राज्यों में जहां इन्हें अवैध ठहराकर वसूली पर पाबंदी लगाई गई है. कुछ जगहों पर इसका उल्लंघन करने पर एफआईआर तक दर्ज की गई है. लेकिन राजधानी में कमिश्नर कलेक्टर इस मामले पर खामोश हैं.

जिम्मेदारों के पास वक्त नहीं

टैक्स और महंगाई की मार से जूझ रही जनता से अवैध वसूली की जा रही है लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि सभी के सभी जिम्मेदार खामोश बैठे हुए हैं. इस मामले में निगम कमिश्नर रजत बंसल और रायपुर कलेक्टर ओपी चौधरी से संपर्क करने की कोशिश की गई. दोनों अधिकारी अपने आफिस के अंदर बैठे भी थे. लेकिन दोनों जिम्मेदारों अधिकारियों के पास जनता से संबंधित इस महत्वपूर्ण विषय पर बात करने के लिए समय ही नहीं था.

कलेक्टर के पास अटकी फाइल

उधर इस मामले में टाउन एंड कंट्री प्लानिंग के संयुक्त संचालक विनीत नायर ने बताया कि इस मामले को लेकर रायपुर कलेक्टर के पास फाइल प्रस्तुत की है जिसमें उन्होंने हैदराबाद हाईकोर्ट के उस साईटेशन को भी प्रस्तुत किया है. विनीत नायर के अनुसार मॉल और मल्टीप्लेक्स नगर निगम के सीमा क्षेत्र में आते हैं ऐसे में अगर वो नियमों का उल्लंघन करेंगे तो उन पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

आपको बता दें कि मदन मोहन एवं अन्य VS नगर निगम हैदराबाद के मामले में सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने अपना फैसला देते हुए पार्किंग शुल्क को अवैध करार दिया था. फिलहाल इस मामले में कलेक्टर ओपी चौधरी ने कोई भी निर्णय नहीं लिया है. कलेक्टर के निर्णय न लेने की स्थिति में आम जनता से अवैध वसूली की जा रही है.

क्या कहता है कानून

व्यावसायिक परिसर सार्वजनिक क्षेत्र के दायरे में आता है जहां मौजूद प्रतिष्ठान लोगों को अपने यहां खरीदारी करने के लिए आमंत्रित करते हैं. इसलिए सार्वजनिक जगहों को निशुल्क मुहैया कराना आवश्यक है.