प्रतीक चौहान. रायपुर. दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के बिलासपुर रेल मंडल के आरपीएफ के सीनियर डीएससी पर गंभीर आरोप लगे है. जिसकी शिकायत के बाद फैक्टस जांच करने की जिम्मेदारी आईवीजी को दी गई और आईवीजी की रिपोर्ट के आधार पर ही रिपोर्ट रेलवे बोर्ड भेजा गई. लेकिन न जाने ऐसा क्या हुआ कि डीजी के इस शिकायत के मामले में कार्रवाई के बाद भी आईजी ने कोई कार्रवाई नहीं की.
लल्लूराम डॉट कॉम को जानकारी मिली है कि सीनियर डीएससी के खिलाफ रेलवे बोर्ड में जो शिकायत की गई है उसमें जातिगत भेदभाव करने के आरोप लगे है. ये शिकायत भी किसी और ने नहीं बल्कि रेल मंडल के ही एक सब इंस्पेक्टर ने की है, लेकिन हैरानी की बात ये है कि इस शिकायत को नजरअंदाज कर दिया गया और बिना सब इंस्पेक्टर का पक्ष सुने पहले उन्हें करीब 126 दिनों तक सस्पेंड किया गया, इस दौरान जांच भी शुरू नहीं हुई और आरोप ये भी है कि जब जांच हुई तो एक विशेष जाति के लोगों ने ही पूरे मामले की जांच की.
शिकायत के मुताबिक जांच करने वाले सभी बिलासपुर डीएससी के करीबी बताए गए है. ये पूरा मामला चावल चोरी की जांच से जुड़ा हुआ है. लेकिन इसकी जांच करवाने का जो तरीका है वो उक्त सब इंस्पेक्टर को टारगेट कर उसकी जगह अपने खास व्यक्ति को पदस्थ करने का हो सकता है. जोकि आरपीएफ के लिए एक जांच का विषय है, इतना ही नहीं कुछ हद तक वे इसमे कामयाब भी हुए और जिन्हें पदस्थ किया गया वो कागजों पर महीनों से छुट्टी में है. लेकिन अक्सर बिलासपुर मैस और बिलासपुर आरपीएफ पोस्ट के आस-पाए देखे जाते है.
पीड़ित आरपीएफ स्टॉफ ने कई बार आईजी से भी निष्पक्ष तरीके से जांच कराने की मांग की गई. लेकिन उसकी एक न सुनी. जिसके बाद उक्त शिकायतकर्ता ने रेलवे बोर्ड, मानवाधिकार आयोग और एसटी एससी आयोग में भी इसकी शिकायत की है.
आईजी के ड्राइवर ने की व्यापारी से बातचीत, इसी ऑडियो की जांच दे दी अधिकारी को ?
जांजगीर चांपा इलाके में चावल की चोरी होती है. जिसमें जांच के बाद कार्रवाई भी होती है. इसके बाद इतमें और कोई संलिप्त तो नहीं इसकी जांच सीनियर डीएससी पेंड्रा प्रभारी को सौंपते है. इसी दौरान कथित रूप से एक ऑडियो क्लीप भी सामने आता है. जो कथित रूप से दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे जोन के आईजी का ड्राइवर था. चूंकि आवाज स्टॉफ की थी, इसलिए जब ये आरपीएफ के कुछ लोगों तक पहुंचा तो इस आवाज को पहचान लिया गया. इतना ही नहीं उक्त ऑडियो क्लिप के संबंध में जांच के कोई लिखित आदेश न देकर मौखिक आदेश दिए गए.
आरपीएफ की टीम जब जांच करने पहुंची और इसके पूरे प्रमाण मौजूद है, तो बाद में बिलासपुर रेल मंडल से बिना कारण बताए सस्पेंड कर दिया गया, 2-3 महीने बाद उन्हें ये बताया गया कि वे इस मामले की जांच करने पहुंचे थे तो उन्होंने पंचनामा उक्त दुकानदार की दूसरी दुकान में जाकर बनाया. वहीं ये भी आरोप लगे कि जांच करने गई टीम के स्टॉफ से कोरेकागज में हस्ताक्षर करवाए गए, टीम ने कथित रूप से पैसों की भी डिमांड की. लेकिन व्यापारी ने दो बार ये लिखकर बयान दिया है कि टीम ने कोई भी पैसे की डिमांड नहीं की और न उनकी दुकान से किसी भी प्रकार का कोई चोरी का चावल बरामद हुआ.
मेरी 3.5 साल की नौकरी में कोई दाग नहीं
बिलासपुर रेल मंडल के सीनियर डीएससी ऋषि शुक्ला से लल्लूराम डॉट कॉम ने इस शिकायत के संबंध में बातचीत की. उन्होंने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि ये सभी आरोप झूठे है, जिसके संबंध में कई तथ्य जहां-जहां शिकायत हुई है वहां उन्होंने सौंपे है. उन्होंने ये भी कहा कि 3.5 साल की नौकरी में इस शिकायत को छोड़कर कभी कोई दाग नहीं लगा है. उन्होंने कहा कि चावल चोरी के मामले में आरपीएफ के स्टॉफ के खिलाफ ही कार्रवाई हुई है, जिसमें कुछ लोगों का ट्रांसफर हुआ और कुछ लोगों का इंक्रीमेंट रोका गया है. ये सभी आरपीएफ के पास मौजूद सबूतों के आधार पर हुआ है. उन्होंने ये भी कहा कि जहां-जहां शिकायत हुई है वहां उन्होंने अपना पक्ष तथ्यों के साथ रखा है और आगे भी रखेंगे.