मथुरा. पति-पत्नी के बीच आपसी प्रेम औऱ भरोसा हो तो मिसालें कायम हो जाती हैं. मथुरा की रहने वाली एक महिला ने ऐसी ही मिसाल कायम कर दी है. इनके पति के प्रति समर्पण और त्याग की कहानी की हर कोई तारीफ कर रहा है.
दरअसल मथुरा के गीता विहार की रहने वाली विमला सिंह के पति बदन सिंह दिव्यांग हैं. उनको सरकार के स्वास्थ्य विभाग से एक अदद विकलांगता प्रमाण पत्र की जरुरत है. जिसको दिखाकर कम से कम वे दिव्यांगों को मिलने वाली राहत पा सकें. सरकारी अधिकारियों के रवैय्ये से हरकोई वाकिफ है. उनको किसी की परेशानी ये शायद ही मतलब रहता हो.
संवेदनहीन सरकारी अधिकारी औऱ कर्मचारी विमला के पति को महीनों एक सर्टिफिकेट के लिए दौड़ाते रहे औऱ विमला ने महिला होने के बाद भी हार नहीं मानी. वो अपने दिव्यांग पति को हफ्ते में तीन से चार बार तक 15 किलोमीटर की दूरी तय करके अपनी पीठ पर लादकर सीएमओ आफिस आती.
दरअसल, मुफलिसी किसी को नहीं छोड़ती. परेशानियों ने विमला का भी दामन नहीं छोड़ा. उनके पास भी इतने पैसे नहीं होते थे कि वे आटो या टैक्सी करके सीएमओ आफिस जा पाती. ऐसे में विमला ने बेहद दिलेरी औऱ साहस का परिचय देते हुए मथुरा की गीता विहार कालोनी से सीएमओ आफिस तक पति को अपनी पीठ पर लादकर सर्टिफिकेट के लिए ले जाने की ठानी.
निर्मम अधिकारी विमला औऱ उनके पति बदन सिंह को कड़ी धूप में परेशान करते रहे लेकिन विमला ने भी हार न मानने की ठान ली थी. दरअसल विमला को अपने पति के लिए एक अदद ट्रायसाइकिल की जरुरत है. जो उन्हें तभी मिल सकती है जब सीएमओ आफिस उन्हें विकलांगता प्रमाण पत्र दे दे. जिसके लिए इस दंपत्ति को दर्जनों चक्कर लगाने पड़े.
अब जब मामला मीडिया की सुर्खियां बन गया तो सरकारी अधिकारियों ने अपनी लापरवाही पर लीपापोती शुरु कर दी. मथुरा के एडिशनल सीएमओ डा. राजीव गुप्ता ने कहा कि उन्हें इस दंपत्ति की दिक्कत के बारे में पता नहीं था वर्ना वे पहले ही कुछ इंतजाम कर देते.
वैसे सरकारी कर्मचारी कैसे भी हों लेकिन इस दौर में विमला ने ढेर सारी मुसीबतों के बावजूद अपने दिव्यांग पति को न सिर्फ अपने मजबूत कंधों का सहारा दिया बल्कि जमाने को दिखा दिया कि एक औरत कितनी मजबूत औऱ शक्तिशाली होती है अगर वो अपने पर आ जाए तो. विमला के साहस औऱ जज्बे को हर कोई सलाम कर रहा है औऱ हम भी. ये विमला जैसी महिलाएं ही हैं जो हिम्मत की जीती जागती मिसाल हैं. उनके जज्बे औऱ साहस को एक विनम्र सलाम.