नई दिल्ली। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को नई दिल्ली में राज्य सहकारिता मंत्रियों के दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया. इस मौके पर उन्होंने कहा कि सरकार ने एक सहकारी विश्वविद्यालय और सभी राज्यों में उससे संबद्ध कॉलेजों का निर्माण करने का निर्णय लिया है. अमित शाह ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से आए सहकारिता मंत्रियों और अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि वर्तमान में, 65,000 सक्रिय प्राथमिक कृषि ऋण समितियां (पैक्स) हैं. हमने अगले 5 वर्षों में 3 लाख पैक्स स्थापित करने का निर्णय लिया है. 2.25 लाख पंजीकरण का लक्ष्य रखा गया है. उन्होंने सभी को निर्देश दिया कि उप-नियमों को शीघ्रता से अपनाएं और पैक्स को पुनर्जीवित करने की दिशा में कार्य करें.
गृह और सहकारिता मंत्री ने आगे कहा कि निष्क्रिय प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (PACS) को जल्द से जल्द समाप्त किया जाना चाहिए, ताकि नए पैक्स का निर्माण किया जा सके. उन्होंने कहा कि सरकार ने विभिन्न सहकारी समितियों में आवश्यक प्रशिक्षित जनशक्ति हासिल करने के लिए एक सहकारी विश्वविद्यालय और सभी राज्यों में उससे संबद्ध कॉलेजों का निर्माण करने का निर्णय लिया है. देश भर के सहकारिता आंदोलन से जुड़ी संस्थाओं को डिजिटल बनाने और कृषि क्षेत्र में बीजों को संरक्षित और संवर्धन करने के लिए देश के चुनिंदा सहकारी समितियों को मिलाकर राष्ट्रीय स्तर पर एक कॉपरेटिव बनाने की घोषणा भी अमित शाह ने की.
अर्थव्यवस्था में सहकारिता का योगदान
अमित शाह ने कहा कि सहकारिता के माध्यम से खाद्य उत्पादन में सहयोग हुआ है. सहकारी क्षेत्र को कई लोग कृषि से जुड़ा क्षेत्र मानते हैं. भारत की अर्थव्यवस्था में सहकारिता का योगदान है. देश के विकास में गरीब लोग अपना योगदान देना चाहते हैं, लेकिन उनके पास पूंजी की कमी है. इसमें सहकारिता क्षेत्र सहयोग दे सकता है. गुजरात का अमूल इसका उदाहरण है.
मसौदा तैयार करने समिति गठित
अमित शाह ने बताया कि सहकारिता के समग्र विकास के लिए राष्ट्रीय सहकारी नीति का मसौदा तैयार करने के लिए समिति गठित कर दी गई है. इसमें हर राज्य का प्रतिनिधित्व होगा. पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभु समिति की अध्यक्षता करेंगे. उन्होंने बताया कि सहकारिता नीति में मुफ्त पंजीकरण, कम्प्यूटरीकरण, लोकतांत्रिक चुनाव, सक्रिय सदस्यता सुनिश्चित करना, नेतृत्व और पारदर्शिता में व्यावसायिकता, जिम्मेदार और जवाबदेह होना और हितधारकों के साथ की गई सभी चर्चाएं, फोकस का क्षेत्र होगा.
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