नई दिल्ली। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के पूर्व महानिदेशक पद्मश्री विभूषण प्रो. बीबी लाल का निधन हो गया. प्रो. लाल ने अनेक ऐतिहासिक महत्व के स्थलों की खुदाई की, लेकिन सबसे अधिक चर्चा अयोध्या की बाबरी मस्जिद के विवादित ढांचे की नींव में मंदिर मौजूद होने की खोज के लिए मिली थी. प्रो. लाल को 2000 में पद्म भूषण और 2021 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था.

प्रो. बीबी लाल के नाम से इतिहास के पन्नों में अपना नाम दर्ज कराने वाले ब्रज बसी लाल का जन्म 2 मई 1921 को झांसी, उत्तर प्रदेश में हुआ था. उन्होंने हस्तिनापुर (उत्तर प्रदेश), शिशुपालगढ़ (ओडिशा), पुराना किला (दिल्ली), कालीबंगन (राजस्थान) सहित कई महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थलों की खुदाई की थी. 1975-76 के बाद से प्रो. लाल ने रामायण से जुड़े अयोध्या, भारद्वाज आश्रम, श्रृंगवेरपुरा, नंदीग्राम और चित्रकूट जैसे स्थलों की खुदाई कर अहम तथ्य दुनिया के सामने लाए. उनके नाम पर 150 से अधिक शोध लेख दर्ज हैं. बीबी लाल की किताब ‘राम, उनकी ऐतिहासिकता, मंदिर और सेतु: साहित्य, पुरातत्व और अन्य विज्ञान’ को लेकर खासी बहस हुई थी. इसमें विवादित ढांचे के नीचे मंदिर होने की बात कही गई थी.

प्रो. बीबी लाल को तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद पद्म विभूषण प्रदान करते हुए.

इंद्रप्रस्थ की खोज में अहम भूमिका

भारत के आजाद होने के बाद पहली खुदाई 1953 में दिल्ली के पुराने किले में हुई थी. पांडवों की राजधानी इंद्रप्रस्थ का पता लगाने के उद्देश्य से 1969-1973 में भी इस किले में उत्खनन कार्य हुआ था. दोनों बार की खुदाई का कार्य पुरातत्वविद् पद्म विभूषण प्रो. बीबी लाल के नेतृत्व में हुआ था. उत्खनन के दौरान पुराना किला से टेराकोटा खिलौने और चित्रित कटोरे मिले थे, जिनका संबंध 1200 से 800 ईसा पूर्व तक का माना गया था.

संस्कृत में स्नातकोत्तर और रुचि पुरातत्व में

प्रो. लाल ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से संस्कृत में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की थी. पढ़ाई के बाद उनकी रुचि पुरातत्व के क्षेत्र में हुई और 1943 में ब्रिटिश पुरातत्वविद् मोर्टिमर व्हीलर की खोदाई में प्रशिक्षु बन गए, जो तक्षशिला से शुरू हुआ . इसके बाद हड़प्पा जैसे स्थलों पर उन्होंने पुरातत्वविद् के रूप में पचास से अधिक वर्षों तक काम किया. प्रो. लाल 1968 से लेकर 1972 तक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के महानिदेशक रहे. इसके बाद उन्होंने भारतीय उन्नत अध्ययन संस्थान, शिमला के निदेशक के रूप में कार्य किया.

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