प्रदीप गुप्ता, कवर्धा। हम भले ही कितने भी आधुनिक हो जाएं, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी सदियों पुरानी रूढ़िवादिता कायम है. ऐसा ही एक मामले में दूसरे समाज की महिला से शादी करने की वजह से शख्स की मौत के भी समाज के लोगों ने कांधा देने से मना कर दिया. इस बात की जानकारी होने पर पुलिस के जवानों ने गांव के सरपंच और कोटवार के साथ मिलकर अंतिम संस्कार कराया और आने वाले बाकी के दिनों के संस्कार को पूरा करने का भरोसा दिया.

मामला पांडातराई थाना अंतर्गत ग्राम परसवारा का है, जहां रहने वाले रज्जू मेरावी की लंबी बीमारी के बाद मौत हो गई, लेकिन उसे कांधा देकर श्मशान घाट तक पहुंचाकर अंतिम संस्कार करने समाज से कोई नहीं आया. रज्जू की पत्नी रातभर अपने पति की लाश के पास बैठी रोती-बिलखती बैठी रही. गांव के किसी शख्स ने इस बात की जानकारी थाने में दी. थाने में पदस्थ पुलिसकर्मियों ने पुलिस अधीक्षक को मामले से अवगत कराया. पुलिस अधीक्षक ने पूरे नियमों के साथ मृत रज्जू के अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी पांडातराई पुलिस को दी. पांडातराई पुलिस ने गांव के सरपंच और कोटवार के साथ मिलकर मृतक का अंतिम संस्कार किया, साथ ही अगले 10 दिनों के रस्म को निभाने की बात कही. इस पूरे घटनाक्रम के दौरान गांव वाले केवल मूक दर्शक बने रहे.

रज्जू मेरावी की अंतिम क्रिया का समाज के बहिष्कार की वजह 20 साल पहले अपनी पहली पत्नी को छोड़कर दूसरे समाज की महिला से विवाह करना बताया जा रहा है. 20 साल के दौरान समाज का गुस्सा रज्जू के प्रति कम नहीं हुआ. यहां तक उसके मरने के बाद भी मानवता के नाते अंतिम संस्कार करने के लिए लोग आगे नहीं आए. यहां तक पति की मौत के बाद रातभर उसकी पत्नी का रुदन भी लोगों के दिल को नहीं पसीज पाया. ऐसे वक्त में जिस पुलिस से ऐसे कार्यों की अपेक्षा नहीं की जाती, उसने आगे बढ़कर समाज को आइना दिखाने का काम किया, लेकिन समाज इससे कुछ सीखेगा, कहना मुश्किल है.

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