पुरषोत्तम पात्र, गरियाबंद। छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में करप्शन की रफ्तार अब बेलगाम होती जा रही है. सरकार को कोई और नहीं सरकारी नुमाइंदें ही चूना लगा रहे हैं. ठेकेदारों से मिलकर करोडों के वारा न्यारा करने का कारनामा फुल स्पीड में है. पहले भी कई केस आ चुके हैं, लेकिन इस नए कारनामे को देख कर लगता है कि अफसरों का ठेकेदारों से भरोसा उठ गया है. सभी यही सोच रहे हैं, क्या करप्शन के लिए रिश्तेदारों के फर्म का इस्तेमाल हो रहा. SDO के काले कारनामे ने सब को सकते में डाल दिया है. अपने बेटे की कंस्ट्रक्शन फर्म का बिल लगाकर लाखों रुपये डकार गया. BJP ने इसकी DGP से शिकायत की है.

दरअसल, सिंचाई अनुविभाग पांडुका के एसडीओ पर बेटे के नाम पर पंजीकृत कंस्ट्रक्शन फर्म की फर्जी बिल लगाकर नहर मरम्मत की राशि निकालने का आरोप है. भाजपा नेता ने सूचना के अधिकार के तहत प्रमाणित दस्तावेज निकाल कर डीजीपी से शिकायत कर जांच की मांग की, जिसके बाद अब मामले की तफ्तीश जारी है.

गरियाबंद डिवीजन के राजिम-पांडुका और गरियाबंद में 2019-20 में वार्षिक मरम्मत मद से 3 करोड़ रुपये मिलीभगत कर पानी में बहाया दिया गया. इसी तरह वित्तीय वर्ष 2019-20 में हुआ था, जिसमें 5 करोड़ से ज्यादा के कार्यों का पीस वर्क के आड़ में वारा न्यारा किया गया था, जिसका मुद्दा अभनपुर विधायक धनेद्र साहू ने उठाया था.

आरोप है कि पांडुका सिंचाई अनुविभाग में पदस्थ प्रभारी एसडीओ खेमू राम साहू ने नहर मरम्मत के नाम पर लाखों के भ्रष्टाचार किया. फर्म की फर्जी बिल लगाकर नहर मरम्मत की राशि निकालने का आरोप है. इसके दस्तावेज भी सौंपे गए हैं.

भाजपा आरटीआई प्रकोष्ठ के प्रदेश कार्यकरिणी सदस्य प्रीतम सिन्हा ने आरटीआई के तहत निर्माण मरम्मत कार्य के सम्पूर्ण दस्तावेज निकाला था. इन्हीं दस्तावेज के आधार पर 8 अगस्त 2022 को डीजीपी के समक्ष शिकायत की थी.

शिकायत पत्र में कहा गया है कि एसडीओ साहू ने जिस आदित्य ट्रेंडिंग कन्स्ट्रक्शन मटेरियल सप्लायर रायपुर के नाम पर मूडतराई नहर का मरम्मत कर लगभग ढाई लाख का बिल का आहरण कराया है. वह फर्म एसडीओ खेमू राम साहू के सुपुत्र आदित्य प्रकाश साहू का है.

फर्म की जीएसटी नम्बर के डिटेल में दर्ज पता पचपेड़ी नाका, लक्ष्मी नगर रायपुर है. वही पता एसडीओ खेमू राम का भी है. 9 बिंदुओं की शिकायत पत्र में कहा गया है कि एसडीओ ने अपने पद का दुरुपयोग किया. बगैर काम कराए जो बिल लगाए गए, सभी में एसडीओ ने ही हस्ताक्षर किए हैं.

कूटरचना कर सरकारी संपत्ति के लूट में तत्कालीन अफसरों ने भी एसडीओ के काम मे सब कुछ जानते हुए भी सहयोग किया है. पूरे प्रकरण में प्रीतम सिन्हा ने तत्कालीन ई ई आशुतोष सास्वत, सहायक अभियंता आर के रजक और वरिष्ठ लेखा लिपिक रोहित तिवारी की भी मिली भगत बताया है.

शिकायत के बाद एसपी जे आर ठाकुर ने मामले की जांच के लिए थाना प्रभारी पांडुका को अधिकृत कर दिया है. मामले में सिंचाई विभाग के ईईएस के बर्मन ने भी जांच की पुष्टि की. उन्होंने कहा कि पुलिस से प्राप्त पत्र के आधार पर उच्च स्तरीय परीक्षण हेतु पत्र ऊपर भेज दिया गया है.

इस प्रकरण के बारे में पूछे जाने पर एसडीओ खेमू राम साहू ने कहा कि शिकायत फर्जी है, मेरे उक्त फर्म से कोई सम्बंध नहीं है. शिकायत ही पूरी फर्जी है.

आरटीआई से खुला मामला
पांडुका निवासी प्रीतम सिन्हा ने बताया कि अक्टूबर 2021 में महज डेढ़ फीट चौड़ी अनुपयोगी नहर का मरम्मत किए जाने का दावा सिंचाई विभाग द्वारा किया गया था. मूड़तराई के 1650 मीटर छोटी नहर में खरीफ के सीजन में मरम्मत बताया गया जो गले नहीं उतरा.

प्रीतम ने कहा कि अक्टूबर माह में खरीफ के लिए पानी दिया जाता है. मरम्मत का कार्य अक्टूबर के बाद ही होता है. शंका होने पर उन्होंने आरटीआई के तहत दस्तावेज निकलवाया. दस्तावेजों को निकालने के बाद मौके का मुआयना किया. जहां काम बिल्कुल ही नहीं हुआ था. सीमेंट बोरियों में बालू भर कर मरम्मत दर्शाया गया.

इन बोरियों के नाम पर 50 हजार से ज्यादा निकाला गया था. मौके पर एक भी बोरी नहीं थे. काम पर एक भी मजदूर का जिक्र न होना और काम में ढाई लाख खर्च करना ही गड़बड़ी की पुष्टि की. सिन्हा ने मामले की शिकायत जल सन्साधन विभाग के प्रमुख अभियंता से भी की है.

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