कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने मोती महल स्थित कोषालय के माल खाने से गायब हुए 80 लाख रुपए के गहनों के मामले में अहम फैसला दिया है। कोर्ट ने कहा है कि गहने शासन की निगरानी में थे और वह माल खाने से गायब हुए हैं। लौटाने की जिम्मेदारी भी शासन की है। ऐसे में कलेक्टर याचिकाकर्ताओं को 80 लाख रुपए अदा करें, साथ ही कोर्ट ने पुलिस की जांच पर टिप्पणी करते हुए यह भी कहा है कि यह दुर्भाग्यपूर्ण मामला है। साल 1988 में डकैती में 2 लोगों की जान गई, उसके माल खाने से लाखों के गहने गुम हो गए। 2017 में केस दर्ज होने के बाद भी जांच एजेंसी अंधेरे में है जांच घोंघे की गति से आगे बढ़ रही जो प्रशंसनीय नहीं है।

कोर्ट ने इस पूरे मामले को लेकर आदेश दिया है कि पुलिस अधीक्षक स्तर के अधिकारी निगरानी में एसआईटी का गठन करें। हर दिन मामले की जांच कर महीने के अंत में हाईकोर्ट के प्रिंसिपल रजिस्टर के यहां रिपोर्ट पेश करें। 6 महीने में जांच खत्म कर चालान कोर्ट में पेश भी करना होगा।

बता दें कि एसआईटी को बिना दबाव के काम करना होगा। SIT किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचती है तो मामला सीबीआई को भी सुपुर्द किया जा सकता है। गौरतलब है कि ग्वालियर के किला गेट स्थित सोडा कुआं के पास रमेश चंद्र गोयल सोना चांदी का व्यापार करते थे। 1988 में उनके घर डकैती पड़ी थी। डकैतों ने रमेश और उनकी पत्नी बसंती की हत्या कर सोना चांदी और नगदी लूट ली थी। पुलिस ने एक आरोपी को गिरफ्तार किया था। उससे 80 लाख कीमत का सोना चांदी बरामद भी हुआ था जिसे कोषालय के माल खाने में जमा करा दिया गया था।

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