गौरव जैन, गौरेला-पेंड्रा-मरवाही. जिला अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी के चलते इलाज कराने वालों को तकलीफों का सामना करना पड़ रहा है. इस आदिवासी क्षेत्र में जिला अस्पताल सर्वसुविधायुक्त इलाज का एक मात्र जरिया है. अस्पताल में खासकर गर्भवती महिलाओं और उनके आपातकालीन प्रसव को लेकर सुविधाओं में कमियां बनी रहती है.

इलाज कराने वालों का कहना है कि गर्भवती महिलाओं को नौवें माह पूर्ण होने के बाद प्रसव या ऑपरेशन संबंधित सुविधाओं का जिला अस्पताल में न होने का हवाला देकर या तो बिलासपुर रेफर कर दिया जाता या किसी अन्य निजी अस्पताल में इलाज कराने की सलाह दी जाती है, जो आर्थिक रूप से तकलीफ दायक है. साथ ही 100 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय कर बिलासपुर ले जाने में मरीज की जान पर भी बन आती है. मुख्यमंत्री से शिकायतों के बाद भी स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार नहीं हो रहा.

आपकों बता दें कि गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले में कोटा विधानसभा से विधायक डॉ. रेणु जोगी हैं और मरवाही विधानसभा से डॉ. केके ध्रुव विधायक हैं. दोनों विधायक डॉक्टर हैं. इसके बाद भी इस आदिवासी बहुल जिले में और जिला अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी बनी हुई है.

जिला प्रबंधन से इस बारे में जानकारी ली गई तो उन्होंने बताया कि अन्य जिला अस्पतालों के जैसे यहां भी उतनी ही चिकित्सा सुविधा उपलब्ध है. आपातकालीन सुविधा 24 घंटे चालू रहती है. बहुत क्रिटिकल होता है तभी मरीज को बिलासपुर भेजा जाता है. लापरवाही बरतने के लिए कुछ स्टाफ को नोटिस भी दिया गया है.

जिला अस्पताल जिसे सेनेटोरियम के नाम से भी जाना जाता है. नोबेल पुरस्कार विजेता रविन्द्रनाथ टैगोर अपनी बीमार पत्नी बीनू को लेकर सेनेटोरियम गौरेला टीबी रोग का इलाज कराने आए थे. दो माह पहले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जब जिले के दौरे पर आए थे तो उन्होंने भी जिला अस्पताल को रेफर सेंटर कहा था. कमियों और शिकायतों का भी जिक्र किया था. इसके बाद भी कोई सुधार नहीं हुआ है.