रायपुर. स्काईवॉक के निर्माण में भ्रष्टाचार की शिकायत करते हुए कांग्रेस प्रवक्ता आरपी सिंह ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को ज्ञापन सौंपा और जांच की मांग की.
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता आरपी सिंह ने ज्ञापन में कहा कि तत्कालीन भाजपा सरकार के लोक निर्माण मंत्री राजेश मूणत ने बिना किसी आवश्यकता के रायपुर शहर में एक स्काईवॉक बनाने का प्रोजेक्ट अपने रसूख का प्रयोग करके पास करवा दिया, जिसका कोई औचित्य या आवश्यकता ही नहीं थी. वहीं भाजपा प्रवक्ता व पूर्व मंत्री राजेश मूणत ने राज्य सरकार द्वारा स्काईवॉक पूरा नहीं करने को लेकर सवाल उठाया है. उन्होंने कहा कि वही अधिकारी है, वही ठेकेदार है, वही फाइल है, उसके बाद भी 4 साल तक राज्य सरकार स्काईवॉक को पूरा नहीं कर पाई.

आरपी सिंह ने ज्ञापन में कहा, जनता ने भी स्काईवॉक के निर्माण को लेकर तत्कालीन सरकार का विरोध करते हुए मूणत की मंशा पर प्रश्न चिन्ह लगाया था. आरपी सिंह ने प्रोजेक्ट को तत्कालीन लोक निर्माण विभाग मंत्री राजेश मूणत के भ्रष्टाचार के जीते जागता उदाहरण बताते हुए जांच के लिए प्रोजेक्ट के संबंध में कुछ तथ्यों को पेश किया. इसमें 50 करोड़ रुपए से अधिक लागत के किसी भी इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट के लिये राज्य शासन के आदेशानुसार पीएफआईसी (PFIC ) की स्वीकृति के उपरांत ही किसी भी विभाग द्वारा निर्मित किया जा सकता है. रायपुर में स्काई वॉक निर्माण से संबंधित प्रोजेक्ट को वर्ष 2017 के माह मार्च में ( जानबूझकर ) 49.08 करोड़ रुपए का बनाकर लोक निर्माण विभाग द्वारा स्वीकृति जारी की गई. इस प्रोजेक्ट की लागत जानबूझकर 50 करोड़ रुपए से कम रखी गई ताकि पीएफआईसी की स्वीकृति न लेनी पड़े.

उन्होंने कहा, इसके अलावा दिसंबर 2017 में इस प्रोजेक्ट की तकनीकी कीमत को बढ़ाकर विभाग द्वारा 81. 69 करोड़ रुपए करने का प्रस्ताव वित्त विभाग को दिया गया. पीएफआईसी (PFIC ) की कमेटी के अध्यक्ष मुख्य सचिव होते हैं, तथा अन्य विभागों के सचिव इसके सदस्य होते हैं. इस कमेटी में अन्य बातों के अलावा इस बात का भी परीक्षण किया जाता है कि इतनी बड़ी धनराशि की अधोसंरचना परियोजना वास्तव में पर्याप्त जनोपयोगी है भी या नहीं. इसके अलावा संशोधित तकनीकी प्राक्कलन में Escalation clause का प्रावधान कर 5.83 करोड़ किया गया, जबकि यह प्रावधान मूल प्राक्कलन में ही रखा जाना चाहिए था. इसी प्रकार यूटिलिटी शिफ्टिंग में मूल प्रावधान मात्र 90 लाख रुपए का रखा गया, जबकि माह दिसंबर तक इस पर 5.94 करोड़ रुपए व्यय कर दिया गया था.

आरपी सिंह ने कहा, इससे स्पष्ट होता है कि ऐसी सामान्य सी चीजें मूल प्राक्कलन में सिर्फ इसलिये नहीं रखी गयी थी, जिससे प्रस्ताव 50 करोड़ रुपए से कम का बने व विभाग को यह प्रस्ताव पीएफआईसी में ना लाना पड़े, जहां इस प्रकार के अतिरंजित अपव्यय से संबंधित अधोसंरचना प्रस्तावों को रोका जा सकता था. सिंह ने कहा कि लोक निर्माण विभाग ने 04 फरवरी 2017 को मूल टेंडर जारी किया, 20 फरवरी 2017 को निविदा प्राप्त कर ली, जबकि प्रकरण की तकनीकी व शासकीय प्रशासकीय स्वीकृति दिनांक 08.03.2017 को जारी की गई. इससे स्पष्ट है विभागीय मंत्री के दबाव में, अधिकारी बिना नियमों का पालन किये कार्य कर रहे थे.

सिंह ने बताया कि मंत्री राजेश मूणत ने 23 अप्रैल2018 को अचानक स्काई वॉक के Architectural View में सुधार करने के लिए 12 परिवर्तन के निर्देश दिये, जिनका कोई Technical Justification पूरे प्रस्ताव में कहीं नजर नहीं आता है. अकेले सिविल कार्य ही 15.69 करोड़ रुपए से बढ़ा दिया गया. इसके साथ आरपी सिंह ने प्रोजेक्ट से जुड़ी अन्य अनियमितताओं की ओर मुख्यमंत्री का ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि प्रकरण में अपराधिक षडयंत्र कर स्वीकृति जारी की गई, जो पूर्णता गलत मंशा से की गई है.

अब तक स्काईवॉक को पूरा नहीं कर पाई सरकार: मूणत
भाजपा प्रवक्ता व पूर्व मंत्री राजेश मूणत ने राज्य सरकार द्वारा स्काईवॉक पूरा नहीं करने को लेकर सवाल उठाया है. उन्होंने कहा कि वही अधिकारी है, वही ठेकेदार है, वही फाइल है, उसके बाद भी 4 साल तक राज्य सरकार स्काईवॉक को पूरा नहीं कर पाई.

मूणत ने कहा, पाटन क्षेत्र में भाजपा के 15 साल के कार्यकाल अंतराल में निर्माण कार्य के लिए जो स्वीकृत हुए थे वह भी अब तक पूरे नहीं हुए. राजधानी के टाटीबंध ओवरब्रिज अब तक पूरा नहीं बन पाया. वहीं राजेश मूणत ने राज्य सरकार को चैलेंज करते हुए कहा कि सरकार में दम है तो स्काईवॉक की सुप्रीम कोर्ट के रिटायर न्यायाधीश से जांच करा ले. थोथी राजनीति न करें, उस पर निर्णय करे.