शरद पाठक, छिंदवाड़ा। कल दो अक्टूबर से देश में वन्य प्राणी सप्ताह की शुरुआत हो रही है और आज पेंच नेशनल के बफर एरिया में बादलापार के लोनापिण्डरई गांव के समीप पेंच नदी में एक बाघ का शव मिला है। सुबह जब मछली मारने वाले नदी में पहुंचे तो उनको बाघ का शव पानी में तैरता हुआ मिला। इसके बाद वन विभाग की टीम सूचना मिलने पर पहुंची और बाघ के शव को अभिरक्षा में लिया।
बाघ की मौत का कारण अभी अज्ञात है। पोस्टमार्टम के बाद ही किसी निर्णय पर पहुंचा जा सकेगा। बाघ की हालत से अंदाजा लगाया जा रहा है कि वह कहीं से बहकर आया है और मौत हुई काफी देर हो चुकी है। इस संबंध में अधिकारियों से बात नहीं हो सकी है, लेकिन इस क्षेत्र में लगातार बाघों की मृत्यु होने से यह बात तो स्पष्ट हो जाती है कि इनकी सुरक्षा पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। विभाग का सारा ध्यान आयोजन और प्रचार प्रसार में ही लगा हुआ है।गौरतलब है कि पेंच क्षेत्र में पिछले कुछ वर्षों में बाघों की संख्या बढ़ी है लेकिन उसके साथ ही बाघों के शिकार एवं मौत की घटनाएं भी बहुत तेजी से बढ़ी है।
एक तरफ कल 2 अक्टूबर से देशभर में वन्य प्राणी सप्ताह जोर शोर से मनाया जाएगा। इस बार नवाचार करते हुए इस सीजन का आरंभ कन्या पूजन से किया जाएगा और कन्याओं को पेंच पार्क में प्रवेश भी कराया जाएगा। इतने तमाम ढकोसलों के बावजूद भी वन्य प्राणियों के शिकार पर रोक लगाने के लिए वास्तव में धरातल में कोई कदम नहीं उठाए जा रहा है। प्रशासन एवं सरकार की पूरी ताकत सिर्फ आयोजन और नारेबाजी में ही खत्म हो जाती है ।
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