बिलासपुर. तेंदूपत्ता को ठेका दिए जाने के मामले में हाईकोर्ट ने अहम आदेश दिया है. हाईकोर्ट ने कहा है कि अब केवल उन्हीं ठेकेदारों को ठेका देने के लिए सरकार आगे बढ़ सकती है जो सबसे ऊंची बोली लगाएगा. कोर्ट ने इस मामले में अगली सुनवाई 17 अप्रैल की है. कोर्ट ने अगली सुनवाई में सभी ठेकेदारों से जवाब मांगा है. इस मामले में चार सौ करोड़ के घाटाले का आरोप लगाते हुए बीजेपी नेता संतकुमार नेताम ने याचिका लगाई है. इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस राधाकृष्णन और जस्टिस शरद गुप्ता की बेंच कर रही है.

दरअसल, तेंदूपत्ता नीलामी की प्रक्रिया सामान्य नीलामी से अलग है. आमतौर पर किसी नीलामी में सबसे ज़्यादा बोली लगाने वाले को वो चीज़ मिलती है. लेकिन तेंदूपत्ता नीलामी में किसी भी ठेकेदार को उतना ठेकेदार द्वारा जमा की गई सुरक्षा निधि का 12 गुना खरीदने की अनुमति होती है. अगर तेंदूपत्ता के किसी लॉट में किसी ठेकेदार ने सबसे ज़्यादा बोली लगाई है लेकिन अगर उसने सीलिंग क्षमता का माल खऱीद लिया है तो वो ठेका उस ठेकेदार को मिलेगा जिसने अपना कोटा पूरा नहीं किया है. भले की उसका रेट सबसे कम क्यों न हो.

संतकुमार नेताम ने अपनी याचिका में कहा है कि इसी तरीके से सारी गड़बड़ी और भ्रष्टाचार हो रहा है. इस मामले को लेकर कांग्रेस भी सवाल उठा चुकी है. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल और मोहम्मद अकबर ने आरोप लगाया है कि इस तरीके से भारी भ्रष्टाचार हो रहा है. चुनावी साल में अक्सर कम खरीदी होती है. उन्होंने इसकी आड़ में टेरर फंडिग का आरोप लगाया है. हालांकि मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह ने इन आरोपों को हास्यास्पद बताया था. उन्होंने कहा है कि सरकार के पास कोई पैसा आता ही नहीं है. सीधे संग्राहकों के पास जाता है.