रायपुर- मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने कहा कि प्रदेश में कार्यरत संविदा आयुर्वेदिक चिकित्सकों को चिंतित होने की जरूरत नहीं है। उन्हें नहीं निकाला जाएगा। प्रदेश के दूरस्थ अंचलों में जहां चिकित्सक जाना नहीं चाहते, वहां 17 वर्षों से संविदा आयुर्वेदिक चिकित्सक समर्पण के साथ लोगों की सेवा कर रहे हैं। उनके लिए राज्य सरकार बेहतर से बेहतर रास्ता निकालेगी।मुख्यमंत्री आज राजधानी रायपुर के पंडित दीनदयाल उपाध्याय सभागार में आयोजित राष्ट्रीय आयुर्वेद सम्मेलन को सम्बोधित कर रहे थे। सम्मेलन का आयोजन छत्तीसगढ़ आयुर्वेद चिकित्सक महासंघ द्वारा किया गया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इस सम्मेलन में आकर मुझे प्रसन्नता हो रही है, ऐसा लग रहा है कि मैं अपने परिवार के बीच आया हूं। रायपुर के शासकीय आयुर्वेद महाविद्यालय में अध्ययन करते हुए मैंने जो कुछ भी सीखा वह जीवन भर काम आ रहा है। मुख्यमंत्री ने पिछले 14 वर्षों में प्रदेश की विकास यात्रा की जानकारी देते हुए बताया कि छत्तीसगढ़ अब देश के विकसित राज्य के रूप में अपनी पहचान बना रहा है।

मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा कि दुनिया में आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति तेजी से लोकप्रिय हो रही है। इस चिकित्सा पद्धति के साथ-साथ आयुर्वेदिक औषधियों की मांग भी तेजी से बढ़ रही है। अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर आयुर्वेदिक औषधियों के व्यापार में 15 से 16 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की जा रही है। लोगों में आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति के प्रति विश्वसनीयता बढ़ रही है।उन्होनें कहा कि राज्य सरकार द्वारा राजधानी के शासकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय को राष्ट्रीय संस्थान के रूप में विकसित करने के प्रयास किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि नये राज्य के गठन के बाद आयुर्वेद चिकित्सा के क्षेत्र में काफी प्रगति हुई है। आयुर्वेदिक महाविद्यालय की संख्या एक से बढ़कर चार हो गई है। आयुर्वेदिक महाविद्यालय में सीटों की संख्या भी बढ़कर 485 हो गई है और लगभग सभी विषयों में स्नातकोत्तर स्तर की पढ़ाई शुरू हो गई है। छत्तीसगढ़ देश का ऐसा पांचवा राज्य है, जहां आयुर्वेदिक चिकित्सकों को ऐलोपैथिक पद्धति से मरीजों का इलाज करने का अधिकार मिला है।

मुख्यमंत्री ने सम्मेलन में कहा कि आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति को लेकर बने इस सकारात्मक वातावरण में हमें प्रमाणिकता के साथ आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति को स्थापित करने की आवश्यकता है। इस क्षेत्र में प्रमाणिकता के साथ अनुसंधान कार्यों को बढ़ावा देना होगा। मुख्यमंत्री ने अपने चीन, जापान और कोरिया के प्रवास का उल्लेख करते हुए कहा कि इन देशों में उन्हें आयुर्वेदिक औषधियों की फार्मेसी देखने का अवसर मिला, जहां आधुनिकतम वैज्ञानिक तकनीक का उपयोग कर अनुसंधान कार्य किए जा रहे हैं। उन्होंने आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति को लोकप्रिय बनाने में बाबा रामदेव के योगदान का उल्लेख करते हुए कहा कि उन्होंने अपने प्रयासों सेे बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के सामने चुनौती प्रस्तुत की है। आज बाबा रामदेव के ‘पतंजलि’ की औषधियों का व्यापार लगभग पांच हजार करोड़ रूपए का हो गया है।
सम्मेलन की अध्यक्षता सेन्ट्रल कौंसिल ऑफ इंडियन मेडिसिन की अध्यक्ष डॉ. वनीथा मुरलीधरन ने की। कार्यक्रम में सेन्ट्रल कौंसिल ऑफ इंडियन मेडिसिन के सदस्य डॉ. राजेश शर्मा और डॉ. विक्रम उपाध्याय तथा पद्मश्री सम्मानित आयुर्वेद चिकित्सक डॉ. सुरेन्द्र दुबे विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित थे। छत्तीसगढ़ आयुर्वेद चिकित्सक महासंघ के प्रदेशाध्यक्ष डॉ. शिवनारायण दुबे ने स्वागत भाषण दिया। डॉ. संजय शुक्ला ने कार्यक्रम का संचालन किया। इस अवसर पर छत्तीसगढ़ सहित विभिन्न प्रदेशों के आयुर्वेद चिकित्सक और विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित थे।