बिलासपुर. बिलासपुर हाईकोर्ट प्रदेश के संसदीय सचिवों के मामले में अपना फैसला सुनाएगी. हाईकोर्ट की लिस्टिंग में इसे ऊपर रखा गया है. इस मामले को लेकर हाईकोर्ट की डबल बेंच ने लंबी सुनवाई की है. चीफ जस्टिस राधाकृष्णन और जस्टिस शरद गुप्ता की डबल बेंच ने इस मामले की सुनवाई करने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था.
इस मामले को लेकर हाईकोर्ट में कांग्रेस नेता मोहम्मद अकबर और आरटीआई एक्टविस्ट राकेश चौबे ने याचिका लगाई गई है. जिसमें इस नियुक्ति को अवैध बताया गया है. अकबर ने अपनी दूसरी याचिका में मांग की है कि चूंकि विधायक दोहरे लाभ के पद का फायदा उठा रहे हैं. अत: उनकी विधायकी खत्म की जाए. अगर कोर्ट ने ये फैसला मोहम्मद अकबर के हक में आया तो छत्तीसगढ़ सरकार अल्पमत में आ सकती है.
इससे पहले हाईकोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश में विधानसभा को छोड़कर संसदीय सचिवों के काम पर रोक लगा दी थी. जिसके बाद मोहम्मद अकबर ने एक आवेदन लगाकर कोर्ट की अवमानना का आरोप लगाया है. उन्होंने आरटीआई से मिले दस्तावेज़ों के आधार पर ये जानकारी कोर्ट को दी है कि कोर्ट के आदेश के बाद भी संसदीय सचिव गाड़ी और भत्तों का लाभ ले रहे हैं.
इस मामले में एक और आवेदन मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह ने लगाया है जिसमें उन्होंने व्यक्तिगत तौर पर खुद को पार्टी न बनाए जाने की मांग की है.
इस मामले को लेकर हाल के दिनों सुप्रीम कोर्ट ने असम और सिक्कम के मामलों को लेकर संसदीय सचिवों की नियुक्ति को अवैध ठहराया है. दिल्ली के संसदीय सचिवों की नियुक्ति को जब चुनाव आयोग ने अयोग्य ठहराया था तब आम आदमी पार्टी ने छत्तीसगढ़ के संसदीय सचिवों का हवाला दिया था. लिहाज़ा इस फैसले पर पूरे देश की नज़र रहेगी.