वैज्ञानिकों की कोशिश होती है कि खेती में मशीनीकरण के उपयोग को बढ़ाकर किसानों से बोझ कम किया जाए. साथ ही मशीनों के उपयोग से समय और धन की बचत भी होती है. किसान इन आधुनिक औजार के इस्तेमाल से समय के साथ-साथ लागत में कमी ला सकते हैं. इसी दिशा में तीन साल पहले किसानों की आय दोगुनी करने में अपनी तकनीक व प्रबंधन विशेषज्ञता से मदद करने की पेशकश जर्मनी ने भारत सरकार से की थी.

छत्तीसगढ़ में खेती के लिए हल, कुदाल, फावड़ा, गैती, हंसिया, चतवार, बेलन, कलारी, घिढ़ली, कुल्हाड़ी परम्परागत औजार हैं. इसका इस्तेमाल वर्षों से किसान कर रहे हैं. लेकिन समय के साथ आधुनिक खेती पर छत्तीसगढ़ में भी नए-नए प्रयोग हो रहे हैं. किसान अब परम्परागत खेती यंत्र औजारों के साथ नए आधुनिक यंत्रों को ऑनलाइन मंगावा रहे हैं. जिससे कम समय में अधिक काम हो रहा है.

विदेशी टूल कर रहे काम आसान

छोटे किसान भाइयों को अपने रकबे के लिए ट्रैक्टर के अलावा ऐसे यंत्रों की भी आवश्यता होती है जो कम खर्च में स्वयं व परिवार द्वारा आसानी से उपयोग कर सके. ऐसे में लेबर का खर्च भी बचता है.

जर्मन कंपनी के टूल्स बाजार में उपलब्ध

इन सभी आधुनिक टूल्स को एक जर्मन कंपनी द्वारा बनाया गया है. ये सभी औजार छोटे किसानों के लिए बहुत सुविधाजनक हो सकते हैं, क्योंकि इनकी कीमत भी काफी कम है, और इनसे किसान खुद ही काफी आसानी से चला सकते हैं.

टूल्स की एक किट दस हजार में उपलब्ध

आधुनिक खेती अपना रहे किसानों ने बताया यह जर्मन यंत्र उन्होंने ऑनलाइन प्लेटफार्म के जरिए मंगवाए है, जिसमें गार्डन टिलर है. इसका इस्तेमाल लहसुन, टमाटर और प्याज़ जैसी फसलों में किया जा सकता है. इस टूल से निंदाई-गुड़ाई का काम काफी आसानी है. इसी तरह के अन्य दर्जनभर टूल्स का कलेक्शन इसमें उपलब्ध होता है.

आप जब भी इन टूल्स को खरीदेंगे तो इन सभी को इस्तेमाल करने के लिए आपको सिर्फ एक हैंडल ही लेना पड़ेगा. सभी टूल्स को आप एक ही हैंडल के ऊपर लगाकर इस्तेमाल कर सकते हैं. इसे खेत से घर ले जाने में दिक्कत भी नहीं होती है.