सरगुजा। अंबिकापुर से 20 किलोमीटर दूर बरगई गाँव है. इस गाँव में एक स्कूल है. इस स्कूल का नाम है ‘शिक्षा कुटीर’. इस स्कूल की खासियत ये हैं कि ये प्रदेश का पहला पर्यावरणीय पाठशाला है. इस स्कूल की खासियत ये हैं कि यह आदिवासी बच्चों का अपना स्कूल है. इस स्कूल की खासियत ये है कि इसका संचालन मददगारों से होता है. इन्ही मददगारों में से एक हैं सरगुजा की एक युवा महिला पुलिस अधिकारी.


आदिवासी बच्चों से बेहद स्नेह रखने वाली युवा महिला पुलिस अधिकारी का नाम है गरिमा द्विवेदी. गरिमा द्विवेदी अभी एक तरह से शिक्षा कुटीर की आजीवन सदस्य की तरह हो गई हैं. मसलन स्कूल के संचालन करने वाले सदस्यों की तरह नहीं, लेकिन स्कूल को चलाने में मदद करने वाले सदस्यों के तौर पर. गरिमा द्विवेदी ‘शिक्षा कुटीर’ स्कूल पहुँची. बच्चों के लिए ढेरों उपहार लेकर.  बच्चों के लिए कुछ खेल का समान, कुछ फर्नीचर और कुछ कॉपी-किताब लेकर.


जब भी गरिमा द्विवेदी के पास वक्त रहता तो इन बच्चों से मिलने जरूर पहुँच जाती है.  यही नहीं वो बच्चों को पढ़ाती भी है और उनके संग खेलती भी है. आदिवासी बच्चों के साथ गरिमा अपना भरपूर वक्त बिताती है. अपने वेतन का कुछ हिस्सा एक तरह से गरिमा इन बच्चों के लिए खर्च करते रहती हैं. प्यार के संग उपहार गरिमा बच्चों को बखूबी बांट रही हैं. इससे पहले भी शिक्षा कुटीर के बच्चों के लिए इस महिला युवा पुलिस अधिकारी ने आनंद मेले का आयोजन किया था. वैसे निःशुल्क संचालित और पेड़ लगाने के नाम शिक्षा देने वाली संस्था शिक्षा कुटीर को आदिवासी बच्चों की बेहतर शिक्षा के लिए गरिमा जैसे लोगों की मदद की जरूरत है.