फीचर स्टोरी. छत्तीसगढ़ भविष्य का जैविक राज्य होगा इससे इंकार नहीं किया जा सकता. राज्य सरकार की ओर से उठाए जा रहे कदमों से ऐसा दिखाई पड़ता है. हालांकि यह अभी बहुत ही प्रारंभिक स्तर है, लेकिन मौजूदा कांग्रेस सरकार की कोशिश सफल होती नजर आ रही है.

दरअसल, इसके पीछे की वजह है सरकार की योजनाओं में प्राथमिकता के साथ गांव, खेती, पशुपालन और किसानों का होना है. भूपेश सरकार की ओर से संचालित सुराजी, गोधन न्याय योजना की सफलता के साथ ही जैविक राज्य को बल मिलने लगा है. राज्य में इन योजनाओं के साथ ही गौपालन, संरक्षण, गोबर खरीदी, वर्मी कम्पोस्ट निर्माण, गोमूत्र खरीदी, ब्रम्हास्त्र, जीवामृत निर्माण हो रहा है.

किसानों को सरकार जैविक खेती की ओर लेकर जा रही है. बीते 4 सालों में किसानों का रुझान जैविक खेती की ओर तेजी से बढ़ा है. किसान धीरे-धीरे जैविक खेती को अपनाते भी जा रहे हैं. किसान अधिक-अधिक जैविक खेती ही करे इसके लिए सरकार कई तरह की छूट भी दे रही है. किसानों को अच्छी क्वालिटी के वर्मी कम्पोस्ट सरकार उपलब्ध करा रही है.

जैविक खेती को आगे बढ़ाने की इस कड़ी में सरकार ने एक और महत्वपूर्ण निर्णय लिया, जिसका सीधा और असरकारी लाभ आज किसानों को हो रहा है. यह फैसला है गोमूत्र खरीदी का. सरकार राज्य में गोपालक किसानों से गोमूत्र खरीद रही है. गौठान में जैसे गोबर की खरीदी होती है, उसी तरह से गोमूत्र की भी खरीदी हो रही है. गौरतलब है कि गोधन न्याय योजना के अंतर्गत गौठानों में दो रुपए किलो में गोबर खरीदी के साथ-साथ अब चार रुपए लीटर में गोमूत्र की खरीदी की जा रही है. और गोबर से जैविक खाद तथा गोमूत्र से जैविक कीटनाशक का उत्पादन गौठानों से जुड़ी महिला स्व-सहायता समूहों द्वारा किया जा रहा है.

गौठानों में अब तक 53231 लीटर गोमूत्र की खरीदी

सरकारी आँकड़ों के मुताबिक राज्य में अब तक 53231 लीटर गोमूत्र खरीदा जा चुका है. जिसके एवज में गोमूत्र विक्रेता पशुपालकों को 2.13 लाख रुपए से अधिक की राशि का भुगतान भी गौठान समितियों द्वारा किया गया है. गोमूत्र से कीट नियंत्रण ब्रम्हास्त्र और वद्धिवर्धक जीवामृत तैयार किया जा रहा है.

10 लाख रुपए से अधिक का ब्रम्हास्त्र किसानों ने खरीदा

वहीं महिला समूहों द्वारा अब तक गोमूत्र से तैयार 17784 लीटर ब्रम्हास्त्र में से 13609 लीटर ब्रम्हास्त्र किसानों ने 6.62 लाख रुपए तथा गोमूत्र से निर्मित 13156 लीटर जीवामृत में से 8919 लीटर किसानों ने 3.43 लाख रुपए में क्रय कर खेती में उपयोग किया है.

गोमूत्र की खरीदी में जांजगीर-चांपा जिला अव्वल

प्रदेश में जारी गोमूत्र की खरीदी में जांजगीर-चांपा जिला अव्वल है. जांजगीर जिले में अब तक सर्वाधिक 5093 लीटर गोमूत्र की खरीदी हो चुकी है. वहीं दूसरे स्थान पर 2926 लीटर की खरीदी के साथ कवर्धा जिला है.

जांजगीर जिला धान की खेती के लिए प्रसिद्ध है. यह जिला सिंचाई का साधन वाला जिला भी कहा जाता है. इस जिले को जैविक जिला बनाने के लिए प्रशासन जोर-शोर से काम कर रहा है. कलेक्टर तारन प्रकाश सिन्हा लगातार गांवों का दौरा कर गौठानों का निरीक्षण और गोधन न्याय योजना, गोबर खरीदी, गोमूत्र खरीदी की जानकारी ले रहे हैं.

जिले में गोबर खरीदी, गोमूत्र खरीदी और गोमूत्र से ब्रमास्त्र, जीवामृत निर्माण का काम महिला स्व-सहायता समूहों के जिम्मे है. स्व-सहायता समूहों ने गोमूत्र से बने जीवामृत और ब्रम्हास्त्र बेचकर लगभग 82 हजार 500 रुपए का लाभ अर्जित किया है. रासायनिक कीटनाशक के जगह गोमूत्र से बनने वाले उत्पाद जीवामृत और ब्रम्हास्त्र खेती-किसानी के लिए ज्यादा फायदेमंद है. इसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता रासायनिक कीटनाशक से कई गुना अधिक है.

जानकारी के मुताबिक, जांजगीर-चाम्पा जिले के दो गोठान विकासखंड अकलतरा के तिलाई एवं विकासखंड नवागढ़ के खोखरा गोठान में गोमूत्र खरीदी की जा रही है. तिलई गोठान में स्व सहायता समूह की महिलाओं द्वारा गोमूत्र से 200 लीटर जीवामृत और 721 लीटर ब्रह्मास्त्र बनाकर 646 लीटर उत्पाद बेचकर कुल 30 हजार 300 रुपए का लाभ प्राप्त कर चुकी है. इसी प्रकार खोखरा गोठान में सागर स्व-सहायता समूह की महिलाएं गोमूत्र से अब तक 724 लीटर ब्रह्मास्त्र और 400 लीटर जीवामृत के उत्पाद बेचकर 52 हजार 200 रुपए का लाभ प्राप्त कर चुकी हैं. समूह की महिलाओं ने बताया कि गोठान के माध्यम से अब तक केवल गोबर खरीदी कर और उससे बने उत्पाद बेचे जा रहे थे लेकिन अब गोमूत्र से भी उत्पाद तैयार कर विक्रय करने से आय में बढ़ोत्तरी हुई है.

जांजगीर जिले में कृषि विभाग के उप संचालक का कहना है कि ब्रह्मास्त्र का निर्माण नीम, धतूरा, बेसरम, आंक, सीताफल और गोमूत्र के मिश्रण से बनाया जाता है तथा इसका उपयोग फसलों में कीटनाशक के रूप में किया जाता है, जबकि जीवामृत के छिड़काव से पौधे में वृद्धि तथा उत्पादकता बढ़ती है. गोमूत्र से बने ब्रम्हास्त्र कीटनाशक बाजार में मिलने वाले पेस्टिसाइड का बेहतर और सस्ता प्राकृतिक विकल्प है और इसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता रासायनिक कीटनाशक से कई गुना अधिक है. वर्तमान में जीवामृत 40 रुपए प्रति लीटर की दर से और ब्रम्हास्त्र 50 रुपए प्रति लीटर की दर से विक्रय किया जा रहा है.

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