नई दिल्ली। गरीबी, मुद्रास्फीति और भूख के बावजूद, भारत करोड़पतियों की सूची में 830 करोड़ रुपए (100 मिलियन डॉलर) से अधिक की संपत्ति वाले व्यक्ति की संख्या के हिसाब से भारत तीसरे स्थान पर है. इस बात का खुलासा दुनिया के पहले वैश्विक अध्ययन में हुआ है. इसे भी पढ़ें : गर्भवती महिला ने चोर को पकड़वाया : नकली पिस्टल लेकर चोरी करने घुसे चोर ने गर्भवती महिला के पेट पर मारी लात, फिर भी नहीं हारी हिम्मत

दुनिया के 25,490 करोड़पतियों में से ब्रिटेन, रूस और स्विटजरलैंड जैसे देशों को पछाड़ते हुए भारत के पास सुपर-रिच टेक टाइटन्स, फाइनेंसरों, बहुराष्ट्रीय सीईओ और वारिसों की संख्या 1,132 है. अंतर्राष्ट्रीय निवेश प्रवास सलाहकार फर्म हेनले एंड पार्टनर्स द्वारा जारी रिपोर्ट में बताया गया कि 100 मिलियन डॉलर से अधिक के व्यक्तियों में अनुमानित 80 प्रतिशत की वृद्धि दर के साथ 2032 तक भारत चीन (नंबर 2) से आगे निकल जाएगा.

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वित्तीय पत्रकार और लेखक मिशा ग्लेनी ने कहा कि लगभग 57 प्रतिशत के साथ एशिया में करोड़पतियों की वृद्धि अगले दशक में यूरोप और अमेरिका की तुलना में दोगुनी होगी. यह वृद्धि मुख्य रूप से चीन और भारत में केंद्रित होगी.

दुनिया के 25,490 सेंटी-करोड़पतियों में 9,730 करोड़पतियों के साथ अमेरिका पहले नंबर पर है, जबकि अमेरिका विश्व की कुल आबादी का केवल 4 प्रतिशत ही अमेरिका में निवास करती है. इसके बाद चीन और भारत के बड़े उभरते बाजार क्रमशः 2,021 और 1,132 करोड़पति के साथ दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं.

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968 करोड़पति के साथ ब्रिटेन चौथे स्थान पर, 966 करोड़पतियों के साथ जर्मनी पांचवें स्थान पर, 808 करोड़पतियों के साथ स्विट्ज़रलैंड छठवें, 765 करोड़पतियों के साथ जापान सातवें, 541 करोड़पतियों के साथ कनाडा आठवें, 463 करोड़पतियों के साथ ऑस्ट्रेलिया नवें और 435 करोड़पतियों के साथ रूस दसवें स्थान पर काबिज है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि 1990 के दशक के अंत में 30 मिलियन डॉलर को ‘सुपर अमीर’ की परिभाषा माना जाता था, लेकिन तब से संपत्ति की कीमतों में काफी वृद्धि हुई है, जिससे 100 मिलियन डॉलर का नया बेंचमार्क बन गया है. पिछले 20 वर्षों में करोड़पतियों की संख्या दोगुनी हो गई है, और उनके पूंजी संचय में नाटकीय रूप से प्रौद्योगिकी के आर्थिक और सामाजिक रूप से विघटनकारी प्रभावों और हाल ही में कोविड महामारी से तेज हो गया है.

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