रायपुर। एससी-एसटी एक्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट की ओर से जारी निर्देश के पालन को करने को लेकर छत्तीसगढ़ पुलिस की ओर से जारी किए आदेश को रमन सरकार ने तत्काल प्रभाव से स्थगित कर दिया है. मुख्यमंत्री ने डॉ. रमन सिंह ने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य एससी और एसटी बाहुल राज्य हैं.

सरकार इस एक्ट को लेकर जारी किए सुप्रीम कोर्ट के फैसले से प्रभावित हो रही थी. लिहाजा छत्तीसगढ़ में अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के हितों की रक्षा और सम्मान के लिए सरकार तत्काल पुलिस मुख्यालय से जारी आदेश को स्थगित करती है. इस संबंध में जल्द राज्य सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका लगाई जाएगी.

यह था आदेश

एससी-एसटी एक्ट को लेकर हाल ही में सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी की गई गाइड लाइन का पालन करने और एक्ट का दुरुपयोग रोकने के लिए पुलिस विभाग द्वारा सभी पुलिस अधीक्षकों को पत्र लिखा गया था. एडीजी आरके विज ने एसपी रेलवे सहित प्रदेश के सभी पुलिस अधीक्षकों को निर्देश जारी किया था. पत्र में उन्होंने डॉ सुभाष महाजन विरुद्ध महाराष्ट्र राज्य व अन्य में SC/ST अधिनियम के दुरुपयोग पर रोक लगाने के लिए जारी दिशा-निर्देश का पालन करने का उल्लेख किया था.

ये हैं दिशा निर्देश

  1. अत्याचार निवारण अधिनियम के मामले में अग्रिम जमानत स्वीकार करने पर कोई रोक नहीं है. अगर प्रथम दृष्टया कोई मामला नहीं बनता है या जहां न्यायिक स्कूटनी पर शिकायत प्रथम दृष्टया झूठी पाई जाती है.
  2. अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत मामले में गिरफ्तारी के प्रावधानों के दुरूपयोग को देखते हुए एक लोक सेवक की गिरफ्तारी केवल नियुक्तकर्ता प्राधिकारी की लिखित अनुमति से और गैर सरकारी कर्मचारी की गिरफ्तारी वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक की अनुमति के बाद हो सकती है. स्वीकृति दिए जाने के कारणों का उल्लेख प्रत्येक मामले में किया जाना आवश्यक है. मजिस्ट्रेट उक्त कारणों की स्कूटनी किए जाने के उपरान्त अगामी अभिरक्षा का आदेश देगा.
  3. एक निर्दोष को झूठा फसाने से बचाने के लिए प्रारंभिक जांच हो सकती है जो संबंधित उप पुलिस अधीक्षक के द्वारा यह पता लगाने के लिए कि आरोपों में अत्याचार निवारण अधिनियम का अपराध बनता है या नहीं और वह आरोप तुच्छ या उत्प्ररित तो नहीं है.
  4. दिशा निर्देश की कंडिका 2 और 3 का पालन नहीं किये जाने पर संबंधित दोषी अनुशासनात्मक कार्यवाही के साथ अवमानना कार्यवाही के लिए दायी होगा.

अतः निर्देशित किया जाता है कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जारी उक्त दिशा-निर्देश का कड़ाई से पालन कराया जाकर पालन प्रतिवेदन से अवगत करावें एवं पर्यवेक्षण अधिकारी यह सुनिश्चित करे कि उक्त निर्देशों का पालन अधिनस्थों के द्वारा किया जा रहा है.