अभिषेक सेमर, तखतपुर. यूं तो बेटियां बेटों से कम नहीं होती हैं, हर हालात में संघर्ष के साथ मुश्किलों को मात देकर बेटों की तरह सफलता को चूम लेती हैं. ऐसे ही संघर्ष की कहानी से आज हम आपको रूबरू कराने जा रहे हैं. जिसमें एक छोटे से गांव कि गरीब परिवार के किसान ने अपनी बेटी के लिए एक बड़ा सपना देखकर उसकी शिक्षा को पूरी कराई. ताकि बेटी के हाथों सरकारी नौकरी लग सके.

इस सपने को पूरा करने के लिए पिछले 18 सालों से अपने खेतों में काम कर पसीने को पानी की तरह बहा रहा है. ताकि बेटी शिक्षा की मुख्यधारा में जुड़कर शिक्षा हासिल कर सके और सरकारी नौकरी हासिल कर सके. लेकिन विडंबना ये है कि बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी के बीच अपनी बेटी के लिए देखे पिता के सपने चूर-चूर हो गए और इस बेरोजगारी की शिकार बेटी हो गई.

ग्राम फरहदा निवासी रत्ना गांव में स्कूली शिक्षा लेकर शहर में रोजगार की तलाश में यहां पहुंची थी. लेकिन जब यहां रोजगार नहीं मिला तो उसने खुद का रोजगार तैयार कर स्वालंबी बनने की दिशा में काम शुरू किया. वो शासकीय जेएमपी महाविद्यालय के सामने एक चाय का स्टॉल लगाती है. रत्ना स्कूल और कॉलेज आने जाने वाली छात्रों समेत रोजगार की तलाश में भटक रहे युवाओं के लिए मोटिवेशनल आइडल बन गई हैं.

आत्मनिर्भर बनने लोगों को कर रही प्रोत्साहित

रत्ना बताती है कि मुझे बचपन से ही नौकरी करने का शौक था, लेकिन सरकारी सिस्टम में आने के लिए कई सरकारी चक्रव्यू से गुजरना पड़ता है. जिसमें एक महत्वपूर्ण चक्र धन बल का भी होता है. अब मैं ऐसे लोगों से अपील करती हूं कि हर किसी को नौकरी की दिशा में नहीं भागना चाहिए. जिन्हें नौकरियां नहीं मिल पाती हैं वह खुद का रोजगार पैदा करके स्वावलंबी बन सकते हैं. जिस तरह कि आज मैं अपने दुकान में चाय बनाकर छात्र-छात्राओं को पिला रही हूं और सबसे अपील कर रही हूं कि नौकरी के इंतजार में अपनी जवानी को ना गवाएं और खुद से रोजगार तैयार कर अपने जीवन को बेहतर बनाएं.

शिक्षा का मकसद नौकरी पाना ना हो- रत्ना

इन दिनों रत्ना की चाय दुकान खूब चर्चा में बनी हुआ है. लोग उनके जज्बे और हिम्मत को सराह रहे हैं. रत्ना ने दुकान में बकायदा एक पोस्टर भी लगवाया है जो लोगों का ध्यान अपनी ओर खींच रहा है. इसमें रत्ना ने लिखवाया है- जब तक शिक्षा का मकसद नौकरी पाना होगा, तब तक समाज में नौकर ही पैदा होंगे मालिक नहीं. खुले आसमान के नीचे चाय स्टॉल लगाने वाली रत्ना के इस जज्बे और मेहनत को देखकर तखतपुर थाना में पदस्थ आरक्षक सत्यार्थ शर्मा ने रत्ना साहू के बैठने के लिए एक चेयर भेंट किया और उसकी इस हिम्मत की खूब प्रशंसा की.

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